बरसीम चारा से गाय भैंस का दूध कैसे बढ़ाएं : How to Increase Milk of Cow Buffalo Berseem Fodder
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बरसीम चारा से गाय भैंस का दूध कैसे बढ़ाएं : How to Increase Milk of Cow Buffalo Berseem Fodder, दुधारू पशुओं को खिलाये जाने वाले सभी हरे चारे में सबसे सर्वोत्तम या सबसे ज्यादा खिलाये जाने वाले चारा में बरसीम का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है. यह काफी पौष्टिक, रसीली, और पाचन युक्त होती है. इस चारे में प्रोटीन, कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है. यह चारा उत्तरी भारत में जाड़े या ठण्ड के मौसम में उगाई जाती है. इससे दूध का प्रवाह बढ़ता है और दाने की बचत होती है. इस चारे को पशु बड़े चाव के साथ खाता है और पचाने में भी सरलता होती है. चूँकि इस चारा में लगभग सम्पूर्ण पौष्टिक आहार होता है, इसलिए यह दुधारू पशुओं के लिये सर्वोत्तम होता है.

बरसीम घास की विशेषता
भारत में कृषि और पशुपालन का काफी बड़ा महत्व है. किसानों की जिंदगी ज्यादातर पशुपालन पर ही आधारित है क्योंकि पशु से मिलने वाले दूध के व्यवसाय से किसानों को काफी राहत मिलती है. यही कारण है कि किसान कृषि के साथ दुधारू पशुओं का पालन करते है, लेकिन दुधारू पशुओं के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है उनका भोजन. अधिकतर किसान पशुओं को सुखा चारा जैसे गेहूं, चना और दाल का भूसा आदि खिलाते हैं जिससे उनके पशु अधिक समय तक दूध नहीं देते हैं. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि दुधारू गाय, भैंस और बकरी आदि के लिए कौन सा चारा अधिक पौष्टिक होता है. बरसीम का चारा बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. इसमें 20-21 प्रतिशत प्रोटीन, 75-80 प्रतिशत रेशा, 1-2 प्रतिशत कैल्शियम और .28 प्रतिशत फास्फोरस की मात्रा पाई जाती है, जो कि पशुओं के लिए उत्तम है. इसीलिए बरसीम को ‘चारे का राजा’ कहते हैं. इस तरह के चारे को किसान अपने पशुओं को खिलाकर अधिक समय तक दूध पा सकते है. बरसीम घास पशुओं की काफी पसंदीदा होती है, क्योंकि यह स्वाद में काफी स्वादिष्ट और हेल्थ के लिए काफी पौष्टिक भी होती है. बरसीम में कैल्शियम और फास्फोरस काफी अधिक मात्रा में होती है जिससे पशुओं की पाचन क्रिया में राहत मिलती है. बता दें किसानों के लिए बरसीम कम लागत में उनके पशुओं के लिए काफी लाभकारी होती है. बरसीम घास शीतकालीन मौसम से गर्मी मौसम तक पशुओं के लिए हरा चारा देती है. जिससे किसान ज्यादा फायदा उठा सकते है.
बरसीम चारा की उन्नत किस्में
हरे चारे के लिए सदैव उन्नत किस्मों का ही उपयोग करें क्योंकि उन्नत किस्में स्थानीय किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार देती है. अधिक और शीघ्र चारा प्राप्त करने के लिए बरसीम की कुछ किस्में इस प्रकार है. बरसीम चारे की अन्य कई जाति या प्रजाति है, इनमें जैसे – जवाहर -1, जवाहर-2, पूसा जाइंट(gaint) और मस्कावी प्रजाति प्रमुख हैं.
वरदान (एस-99-1)
यह किस्म मुख्यतः देश के उत्तरी राज्यों के लिए विकसित की गई है. यह 150 से 160 दिन में फलती है. इस किस्म से आप 5-6 बार कटाई कर हरा चारा ले सकते हैं. इसकी उपज क्षमता 800 से 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
मेस्कावी
यह सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है. इसके पौधे झाड़ीनुमा और सीधे बढ़ने वाले होते है और इसके तने मुलायम होते है. इसकी उपज क्षमता 800 से 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
पूसा ज्वाइन्ट
इस किस्म की विशेषता है कि इसमें एक ही जगह से चार से पांच पत्तियां निकलती है. इसके फूल बड़े आकार के होते है. यह किस्म अधिक सर्दी और पाले सहन करने में सक्षम है.
अन्य किस्में
जे बी- 1, बी एल- 2, बी ए टी- 678, टी- 724 वार्डन, टी- 674, 678, 730, 780, पूसा गैंट, जेबी- 3, 4, एस- 99-1, इग्फ्री- एस- 99 -1,एचएफबी 600, बीएल-1, 10, 22, 30, 42, 92, 180, टाइप-526, 529, 560, 561, यूपीबी-103,104, 105 और डिप्लोइड और टी- 560 आदि प्रमुख है.
बरसीम के लिए मिट्टी
बरसीम घास की फसल दोमट मिट्टी वाले जमीन में ज्यादा होती है. इस फसल के लिये मिटटी की दो बार जुताई एवं बर्खनी दो से तीन बार होती है. मिट्टी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिये बाटा/कोपर चलाया जाता है और खेत को छोटी-छोटी क्यारी में बाँट दिया जाता है.
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बरसीम की बोवाई/बुवाई
बोने से पूर्व बरसीम के बीज में चकोरी नामक खरपतवार के बीज पाये जाते हैं. उसे निकालने हेतु बीज को नमक के घोल में डूबा या डाल दिए जाते हैं. जिससे चकोरी के बीज हल्के होने के कारण घोल में तैरेंगे और उसे अलग कर देते है. फिर बरसीम के बीज को साफ़ पानी में धोयें. बोने से पूर्व बरसीम के बीज को पानी में 8 से 10 घंटे डुबोकर रखें ताकि बीज अच्छी तरह से फुल जाये, परंतु बीज में अंकुर न निकले इस बात का ध्यान रहे. बरसीम के बीज को राइजोबियम जीवाणु वर्धक कल्चर से उपचरित करें. कल्चर को पानी में घोलकर बीज में हल्के हाथों से छिड़ककर मिला दीजिये. उसके पश्चात् बीज को छाया में थोड़ा सा सुखाकर क्यारियों में डालें. बीज की बुवाई दो विधियों सी कर सकते है – 1.लाइन विधि, 2. छिड़काव विधि के द्वारा बीज की 08 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की बुवाई कर सकते हैं. इसकी बुआई अक्टूबर महीने तक कर देनी चाहिए. बीज हमेशा सरकारी या अधिकृत विक्रेता से ही खरीदें. अच्छी पैदावार लेने के लिए बरसीम में बहुत कम मात्रा में सरसों व जई के बीज भी मिला सकते हैं. बीजों को बोने से पहले बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए. उपचारित करने से बरसीम की बढ़वार अच्छी होती है.

बरसीम की सिंचाई
जब तक पौधे उगकर नहीं आये, तब तक हल्का पानी तीन दी के अन्तराल में देतें रहें. तथा ठण्ड के दिनों में बरसीम को कम पानी की आवश्यकता होती है इसलिए बरसीम के फसल को 15 से 20 दिन के अंतर में पानी देना चाहिए. यदि आप गर्मी के मौसम में खेती कर रहे हैं तो 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें. हल्की मिट्टी में 3 से 5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें. भारी मिट्टी में 6 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें.
बरसीम चारा की कटाई
बरसीम की कटाई बीज बोने से 35 से 40 दिन के बाद पौधे की ऊंचाई 30 से 35 सेमी. हो जाति है, उस समय पहली कटाई करें. इसके बाद फिर 20 से 25 दिन के अन्तराल में कटाई करें. बरसीम की 1 वर्ष में कुल 6 से 7 कटिंग कर सकते है. इसका सालाना अनुमानित उपज 300-400 क्विंटल प्रति एकड़ या 75 से 80 टन प्रति हेक्टेयर है.
बरसीम चारा को माह अनुसार कैसे खिलाएं
अलग-अलग महीनों में दुधारू पशु को बरसीम हरा चारा निम्न अनुसार खिलाएं –
1. दिसंबर-जनवरी | 10 kg बरसीम | 1 किलोग्राम दानें के स्थान पर |
2. फ़रवरी – मार्च | 08 kg बरसीम | 1 किलोग्राम दानें के स्थान पर |
3. अप्रैल-मई | 06 kg बरसीम | 1 किलोग्राम दानें के स्थान पर |
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