लम्पी त्वचा रोग का होमियोपैथिक चिकित्सा : Homeopathic Medicine for Lumpy Skin Disease
लम्पी त्वचा रोग का होमियोपैथिक चिकित्सा : Homeopathic Medicine for Lumpy Skin Disease, लम्पी स्किन डिसीस बीमारी से पिछले कुछ महीनों, वर्षों से कई राज्यों में लाखों गायों की मृत्यु हो चुकी है. जिससे लम्पी बीमारी के कहर से पशुपालकों को बहुत ही आर्थिक क्षति हुई है. केंद्र ने राज्यों को जल्द से जल्द LSD निवारक टीकाकरण अभियान पूर्ण करने का निर्देश दिया है. हालाकि लम्पी स्किन रोग को रोकने का कोई 100 प्रतिशत प्रभावी दवा और उपचार अब तक ज्ञात नहीं है. इसलिए LSD निवारक टीकाकरण तथा अन्य उपचारात्मक उपायों की भी मांग की गई है जैसे प्रभावित क्षेत्रों में वेक्टर प्रबंधन के साथ-साथ मवेशियों में उचित स्वच्छता, गौशाला या पशुशाला में विषाणु नाशक दवा का छिड़काव आदि.

पशुओं में होने वाले लंपी त्वचा रोग के लक्षण
- पशु के शरीर पर चकता-चकता हो जाता है.
- प्रभावित पशु के पुरे शरीर पर छोटे-छोटे या गांठ दिखाई देते हैं.
- गांठ को छूने पर पशु को दर्द महसूस होता है.
- पैरों में सुजन एवं आँख से पानी आने लगता है.
- पशु खाना कम खाता है.
- पशु का तापमान जाँच करने पर 104-105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक टेम्प्रेचर रहता है.
- पशु को तेज बुखार होने के कारण मुंह से लार एवं झाग निकलता है.
- रोगी पशु के नाक के अन्दर फोड़े हो जाने के कारण साँस लेने में परेशानी होती है और नाक से सर-सर आवाज आने लगता है.
- प्रभावित पशु के नाक से स्त्राव निकलता है और निमोनिया जैसे लक्षण दिखता है.
- कभी-कभी छोटे पशुओं में तेज बुखार और दर्द के कारण मृत्यु भी हो जाती है.
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लम्पी बीमारी का प्रभाव
- यह छुआ-छुत की बीमारी है जो एक जानवर से दूसरे जानवर के सम्पर्क में आने से भी फैलता है.
- इसलिए बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना उचित होता है.
- प्रभावित जानवरों को एक जगह से दुसरे जगह नहीं ले जाना चाहिए.
- इस रोग से मृत्यु दर काफी कम है.
- हम शुरूआती दौर में ही पशुओं कर ईलाज चिकित्सालय के चिकित्सक के द्वारा शुरू कर इस रोग के प्रभाव को काफी कम कर सकते है.
- यह रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है.
लंपी त्वचा रोग के बचाव
ऐसे स्थिति में निम्न सावधानियाँ बरत कर हम इस बीमारी से शीघ्र छुटाकारा पा सकते है –
- पहले अपने स्वस्थ पशुओं का दाना पानी करने के बाद ही बीमार पशुओं को दाना पानी दे.
- स्वस्थ पशुओं को बीमार पशु से अलग रखें.
- इस बीमारी का कारगर ईलाज होमियोपैथिक एवं देसी चिकित्सा है.
- इस चिकित्सा पद्धति को अपनाने से पशु पाँच से सात दिनों में ठीक हो जाता है.
- अपने पशुओं में इस बीमारी का लक्षण दिखने पर शीघ्र अपने पशु चिकित्सालय के पशु चिकित्सक से सम्पर्क करे.
- किसी तरह के भ्रामक सुझाव से बचे.
- पशु को बाहर से खरीद कर ना लाये एवं पशुओं के अवागमन पर रोक लगाये.
- अगर इस बीमारी से किसी की मौत हो जाती है तो मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबा दें.
पशुओं में होने वाले लंपी बीमारी – होमियोपैथिक एवं देसी चिकित्सा
- एक किलो नीम का छाल.
- एक किलो बबूल का छाल.
- एक किलो पिपल का छाल को पांच लीटर पानी में गर्म कर चार लीटर बना लें.
- उसमें से प्रति दिन
- बड़े गाय को 50 ml, छोटे को 25 ml. सुबह शाम 25 दिनो तक पिलाए.
- घर में नीम के पत्ते का धुआं करें.
- निम के पत्ते को पीसकर घाव पर लेप लगाएं.
- नीम के पत्ते को खिलाएं.
देशी उपाय
- लंपी संक्रमण से बचाने के लिए पशुओं को आंवला, अश्वगंधा, गिलोय एवं मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाएं.
- तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, दालचीनी 05 ग्राम, सोठ पाउडर 05 ग्राम, काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खिलाएं.
- संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कंडे में गूगल,कपूर, नीम के सूखे पत्ते, लोबान को डालकर सुबह शाम धुआं करें.
- पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एंव 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें.
- घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलाएं.
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