बकरीपालन और उनके मुख्य रोग : Goat Farming And Their Major Disease
बकरीपालन और उनके मुख्य रोग : Goat Farming And Their Major Disease, बकरियों को गरीबों का गाय कहा जाता है. सामन्यतः बकरी पालन में बहुत कम खर्च आता है. परन्तु बकरियों को रोग लग जाये तो बकरीपालन करने वाले के लिये बहुंत बड़ी मुसीबत बन जाती है.
बकरीपालन और उनके मुख्य रोग : Goat Farming And Their Major Disease, बकरियों को गरीबों का गाय कहा जाता है. सामन्यतः बकरी पालन में बहुत कम खर्च आता है. परन्तु बकरियों को रोग लग जाये तो बकरीपालन करने वाले के लिये बहुंत बड़ी मुसीबत बन जाती है. हम सभी जानतें है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. मुख्यतः किसानों का दो व्यवसाय होता है, पहला कृषि और दूसरा पशुपालन. यदि हम किसानों की बात करें तो, किसान भाई बहुत मेहनत करके बड़ी उम्मीद के साथ फसलों की बुआई करते हैं. उन्हें उम्मीद रहता है की इस बार कमाई अच्छी होगी, लेकिन जैसे ही फसल के कटाई का समय आता है तो किसान भाइयों को मंदी का सामना कारना पड़ता है या प्राकृतिक आपदाओं से फसल बर्बाद हो जाती है. तो दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे घरेलु बिज़नेस के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे किसान भाई खेती-बाड़ी के साथ-साथ अपने घर पर ही बहुत कम पूंजी लगाकर अतिरिक्त आमदनी करके एक अच्छा जीवन ब्यतीत कर सकते हैं.
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जी हाँ दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं. देसी बकरी पालन के बारे में. यह एक ऐसा साइड बिज़नेस है जिससे किसान खेती-बाड़ी के साथ करके एक्स्ट्रा इनकम कमा सकते है. आज के टाइम पर किसी को भी एक ही काम के भरोसे नहीं रहना चाहिए. महंगाई इतनी बढ़ गई है की 10 या 12 हजार की कोई छोटी-मोटी नौकरी से परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. तो दोस्तों चलिए जानते हैं की बकरी पालन से कमाई के लिए बकरी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें. अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.
बकरीपालन और शेड निर्माण का तरीका
बकरी पालन कारोबार को शुरू करने के लिए आपको कहीं भाड़े पर कमरे लेने की जरुरत नहीं है. इस कारोबार को शुरू करने के लिए आप अपने घर ही थोड़ी जगह में शुरू कर सकते हैं. अगर आप चाहे तो इस व्यवसाय को अपने घर के पास बगीचों में झोपड़ी लगाकर भी शुरू कर सकते हैं. जब आपको लगे की अब इस बकरी पालन कारोबार को और बड़ा करना है तब आप एक बड़ा सा फार्म बनाकर इस बकरी पालन बिजनेस को कार्मशियल व्यवसाय में बदल सकते है. लेकिन बकरी पालन की शुरुआत किसानों को सबसे पहले लगभग 5 से 10 के बीच में करनी चाहिए. इससे आपको बकरी पालन में कितना खर्च आता है इसका अनुमान लग जायेगा. और 10 बकरी पालने में कितना खर्चा आएगा इसका भी पता चल जाता है.
बकरीपालन से लाभ
बकरी पालन व्यापार से एक नहीं बल्कि 3 प्रकार के लाभ होते है.
1 . बकरी का दूध – गाय और भैस के दूध के साथ बकरी का दूध भी काफी फायदेमंद होता है. छोटे बच्चों में प्रोटीन के साथ उनकी ग्रोथ के लिए बकरी का दूध काफी लाभदायक होता है. इसके साथ इसमें फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा होती है. इसके साथ ही यह हृदय रोग, सूखा रोग, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना, कोलाइटिस से राहत देना आदि फायदे होते हैं.
2. बकरी पालन से खाद उत्पादन- अगर आप बड़े पैमने पर बकरी पालन करेंगे तो आप इनके खाद को भी अपने खेतों में डाल सकते हैं या इनको बेच भी सकते हैं.और कहीं-कहीं देखा जाता है की बहुत से किसान अपने खेतों में देशी खाद के लिए बकरियों के झुण्ड को अपने खेतों में रात के समय बकरी पालक से रखने को कहते हैं. जिससे रात को बकरियों द्वारा किया गया मल-मूत्र खाद के काम आता है और इसके बदले बकरी पालक को एक रात के 500 से 700 रुपये की कमाई होती है.
3. बकरी के मांस- देसी बकरी के मीट की डिमांड भारतीय बाजार में सबसे अधिक है. बकरी पालन से सबसे अधिक लाभ मीट से ही होता है, यदि आप बकरी पालन करते हैं तो आपको इनको बेचने के लिए कहीं भटकने की जरुरत नहीं पड़ेगी बल्कि मीट की दुकान चलाने वाले आपसे खुद ही संपर्क करके आपसे खरीदने आयेंगे. और बकरे की हाईट के हिसाब से 10 से 12 हजार रूपये में खरीदते हैं.
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बकरीपालन पर लोन
किसानों के विकास के लिए सरकार समय-समय पर सरकार सब्सिडी जैसी योजनायें लाती रहती है. और ऐसे में सरकार बकरी पालक किसानों के लिए बकरी पालन व्यवसाय योजना के तहत 90% तक सब्सिडी देती है. ऐसे में अगर कोई किसान बकरी पालन शुरू करने की सोच रहे हैं और उनके पास पैसे नहीं हैं तो आप बैंकों से लोन लेकर बकरी पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. कृपया बकरीपालन के इच्छुक व्यक्ति लोन या ऋण सम्बन्धी जानकारी के लिए अधिकृत बैंक में सम्पर्क कर सकते है.
बकरी पालन के लिये जगह का चयन
बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको बकरियों को रखने के लिए सबसे पहले किसी बगीचे के आसपास एक अच्छे स्थान का चयन करना होगा, ताकि गर्मियों के मौसम में दिक्कतों का सामना ना करना पड़े. इसके बाद इनको पानी पिलाने के लिए भी ब्यवस्था करनी होगी, यानि कुल मिलाकर आपको स्थान और पानी की ब्यवस्था पहले आपको करनी होगी.
उसके बाद अब बात आती है इनके चारे की इसके लिए आप यदि चाहें तो इनको सुबह के समय और शाम के समय किसी मैदानी इलाके में छोड़कर चारा खिला सके हैं. या फिर अगर आपके आस-पास मैदानी इलाके नहीं हैं तो आप अपने घर पर ही चारे की ब्यवस्था करके इनको डाल सकते हैं.
बकरी पालन से कमाई
बकरी पालन उद्योग काफी फायदे वाला कारोबार है. इस बिजनेस में लगने वाले लागत की अपेक्षा बकरी पालन से कमाई काफी अधिक होती है. इसके एक बकरे की कीमत उनके वजन के हिसाब से 10000 से लेकर 15000 हजार रुपये होती है. बकरी पालन कारोबार से दूध, देशी खाद और मांस को लेकर बकरी पालक बहुत कमाई हो जाती है. और यदि इसके मांस की बात करें तो मार्केट में इसके मांस की कीमत 500 रुपये से लेकर 650 रुपये किलो बिकती है. इसलिए अगर कोई भी इच्छुक किसान या ब्यक्ति बकरी गांव में पालते हैं तो बकरीपालन से काफी मोटी पैसा कमा सकते हैं. और इसमें आने वाले खर्चे की बात करें तो आप 5 या 10 छोटी बकरियों को प्रति बकरी 5 हजार रूपये में खरीदकर कर सकते हैं. इस व्यवसाय में दूसरा कमाई का कारण यह है की ये एक वर्ष में दो बार बच्चे देतीं हैं. इसलिए अगर बकरी पालन का कारोबार किसान करते हैं तो इससे उनको एक्स्ट्रा इनकम हो सकती है. यह एक ऐसा बिजनेस है जो खेतीबाड़ी के साथ भी बहुत आसानी से किया जा सकता है.
बकरी को खाने में क्या देना चाहिए
अगर आपके आस-पास बकरियों चराने के लिए मैदान है तो आपको इनके खाने के लिए चारे की चिंता नहीं होती है. लेकिन यदि आप घर पर ही बकरियों की पूरी ब्यवस्था करते हैं तो आपको इन्हें खाने में हरी घास, दूब, आम की पत्तियां, महुआ की पत्तियां, खेतों से निकाले गए फसलें, और अरहर, सरसों, चना की भूसी, गेहूं का भूसा ये सब चारे के रूप में दे सकते हैं.
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बकरी का वजन कैसे बढ़ाएं
देसी बकरी की कीमत हमेशा महंगी ही होती है. इससे अधिक पैसे कमाने के लिए इनकी वजन भी भरी होनी चाहिए. इसलिए बकरी का बजन बढ़ाने के लिए इनकों सूखे चारा जैसे- गेहूं का भूसा बहुत ही अच्छा मन जाता है. गेहूं के सूखे भूसे में हल्की पानी मिलाकर इसमें गेहूं के आटे के चोकर या चना, अरहर की भूसी गेहूं के कुछ दाने मिलाने से बकरियां इन्हें बहुत चाव से खाती हैं और इससे इनका वजन तेजी से बढ़ता है.
बकरियों के मुख्य रोग और उपचार
बकरीपालन किसानों के लिये कृषि के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी करने का बहुत बड़ा जरिया है. लेकिन जब बकरियों में संक्रामक बीमारियाँ फैलती है तो किसान को बकरियों के उपचार और बकरियों की क्षति से बहुत बड़ा नुकसान होता है. pashudhankhabar.com आज आपके लिए बकरियों को सामन्यतः लगने वाले रोग एवं उनकी पहचान आप उसका उपचार किस तरह कर सकते हैं.
निमोनिया –
लक्षण – यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे – ठण्ड से कँपकपी, नाक से तरल पदार्थ का रिसाव, मूंह खोलकर साँस लेना एवं खांसी बुखार जैसी चीजें दिखाई दे तो समझ लें बकरी को निमोनिया रोग है.
बचाब एवं उपचार – शीत ऋतू अर्थात ठण्ड के मौसम में बकरियों को छत वाले बाड़े में रखें. एंटीबायोटिक इंजेक्शन 3 से 5 ml. 3-5 दिन तक देनी चाहिए. खांसी के लिए केफलोन पाउडर 6-12 ग्राम प्रतिदिन, 3 दिन तक देनी चाहिए.
आफरा –
लक्षण – यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे – पेट का बांया हिस्सा फूल जाएँ व दवाने पर ढोल की तरह बजे अथवा पेटदर्द, पेट पर पैर मारने लगे और साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो तब आफरा रोग हो सकता है.
बचाब एवं उपचार – चारा व पानी तुरन्त बंद कर दें, तथा 1 चम्मच खाने का सोडा या टिम्पोल पाउडर 15-20 ग्राम खिलाएं. रोगी बकरी को 1 चम्मच तारपीन का तेल व 150-200 ml मीठा तेल पिलायें.
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ओरफ/ मुँहा रोग
लक्षण – यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे – बकरियों के होंठों व मुंह पर खूब सारे छाले या कभी कभी खुरों पर भी हो सकते हैं जिससे पशु लंगड़ा कर चलता है तो यह ओरफ अथवा मुँहा रोग हो सकता है.
बचाब एवं उपचार – रोगी बकरी के मूंह को दिन में दो बार लाल दवा/ फिनाइल/ डेटोल/ आदि के हलके घोल से धोएं. खुरों तथा मूंह को पर लोरेक्सन या बेटाडीन लगायें.
खुरपका – मुंहपका रोग
लक्षण – यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे – मुंह व पैरों में छाले जो घाव में बदल जाते हैं, अत्यधिक लार निकलना एवं पशु का लंगडाकर चलना, बुखार आना एवं दूध की मात्रा में एकदम से गिरावट आ जाती है, तो यह खुरपका-मुंहपका रोग हो सकता है.
बचाब एवं उपचार – जिन बकरियों में यह लक्षण दिखाई दे उन्हें तुरंत अन्य बकरियों से अलग कर पैरों व मूंह के घावों को लाल दावा/ डेटोल के हल्के घोल से धोएं व बाद में लोरेक्सन/एंटिसेप्टिक दवाइयां लगायें. एंटीबायोटिक व बुखार का टीका (मेलोनेक्स/वेटाल्जिन 5 मिली) लगवाएं.
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दस्त/डायरिया –
लक्षण – यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे – थोड़े थोड़े अन्तराल से तरल रूप में मल का निकलना एवं बकरी में कमजोरी आने के लक्षण दिखाई दे तो बकरियों का तुरंत उपचार कराना अत्यंत आवश्यक होता है.
बचाब एवं उपचार – रोगी बकरी को नेबलोन पाउडर 15-20 ग्राम 3 दिन तक देवें. यदि दस्त में खून भी आ रहा है तो वोक्तरिन गोली आधी सुबह एवं शाम नेबलोन पाउडर के साथ या पाबाडीन गोली दें.
थनैला/मेस्टायटिस –
लक्षण – यदि आप की बकरी में इस तरह के लक्षण जैसे – थनों में सूजन आ जाये या दूध में फटे दूध के थक्के या बुखार भी हो तो यह थनैला रोग हो सकता है.
बचाब एवं उपचार – बकरी के कमरे की साफ-सफाई का ध्यान रखें एवं एंटीबायोटिक औषधि को थनों में इंजेक्शन के साथ डाल दें या पेंडीसटीरिन ट्यूब एक थन में एक पूरी डालें व 3 से 5 दिनों तक ऐसा करें.
प्रिय किसान भाइयों बकरियों की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर हमेशा विजिट करते रहें.
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मेरे प्रिय पशुपालक और पशुधन प्रेमियों उपर्युक्त लेख के द्वारा पशुधन से जुड़ी अहम् ख़बरें और महत्वपूर्ण भूमिकाओं दर्शाने की कोशिश किया गया है. इस लेख में पशुधन विकास विभाग और संबंधित पशुधन वेबसाइट पोर्टल के माध्यम से उचित आंकड़ो पर लेख लिखा गया है, परंतु किसी भी प्रकार की त्रुटियाँ होने की सम्भावनायें हो सकती है.
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