डेयरी पशुओं में कार्बोहाइड्रेट और वसा का कार्य : Function of Carbohydrates and Fats in Dairy Animals
डेयरी पशुओं में कार्बोहाइड्रेट और वसा का कार्य : Function of Carbohydrates and Fats in Dairy Animals, पशुपालन के लिए आवश्यक होता है कि पशुपालक अपने पशुओं में कार्बोहाइड्रेट, वसा, मिनरल्स, विटामिन, प्रोटीन आदि पोषक तत्वों को उचित अनुपात में पोषण आहार के साथ खिलाते रहें. ताकि पशु के उत्पादन क्षमता पर कोई प्रभाव न पड़े. उक्त पोषक तत्वों की कमी से पशु के उत्पादन क्षमता के साथ-साथ पशुओं में उत्पादन, गर्भधारण, कमजोरी, बाँझपन, संक्रामक रोगों का प्रभाव आदि जैसी कई प्रकार कि विकृतियाँ पशुओं दिखाई देने लगती है.

1 .कार्बोहाइड्रेट के कार्य
- कार्बोहाइड्रेट (CHO) कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोंग से बनता है.
- इससे शरीर में काम करने की शक्ति मिलती है.
- यह पशुओं के शारीर को गर्म रखता है.
- कार्बोहाइड्रेट आंत के कार्यों को बढ़ाता है.
- यह प्रोटीन के क्षय/विखंडन को कम करता है.
- अधिक कार्बोहाइड्रेट यकृत या मांसपेशियों में ग्लाईकोजेन के रूप में जमा हो जाता है और आवश्यकता पड़ने में फिर रक्त में मिल जाता है.
कार्बोहाइड्रेट स्टार्च(माढ़ी), शर्करा, और सेल्युलोज के रूप में निम्न यौगिकों में मिलता है.
- स्टार्च – चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा तथा आलू में मिलाता है तथा पानी में घुलनशील होता है.
- शर्करा – गन्ना, गुड़, चीनी, शहद, दूध तथा मीठे फलों से प्राप्त किया जा सकता है तथा पानी में घुलनशील होता है.
- सेल्युलोज – साग-सब्जी में मिलता है तथा पानी में घुलनशील नहीं होता है.
कार्बोहाइड्रेट की कमी से शरीर में प्रभाव
- इसकी कमी से पशुओं में शारीरिक शक्ति का हास् एवं कमजोरी जैसी समस्या आ जाती है.
- कार्बोहाइड्रेट कि कमी से शरीर में गर्मी कम हो जाता है.
- शरीर में गर्मी कि कमी होने पर पशु को कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ खिलाना चाहिए.
- पशुओं में कार्बोहाइड्रेट कि कमी से शक्ति हीनता की स्थिति में ग्लूकोज या डैक्सट्रोज अथवा रिन्टोज़ की इंजेक्शन लगाना चाहिए एवं ग्लूकोज पानी में मिलाकर पिलाना चाहिए. प्रोमिक्स कि 15-20 गोली दिन में दो बार बड़े पशुओं को देना चाहिए.
कार्बोहाइड्रेट की अधिकता से शारीर में प्रभाव
- कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा पशुओं को देने पर पाचन की गड़बड़ी, पेट में गैस बनना तथा पेट का तन जाने जैसी समस्या उत्पन्न होने पर पशु को साँस लेने में परेशानी होता है.
- पशु को कभी-कभी शर्करा रोग हो जाता है.
- पशु को शर्करा रोग हो जाने कि स्थिति में कार्बोहाइड्रेट अधिक नहीं खिलावें.
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2. वसा के कार्य
- यह भी कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोग से बनता है.
- यह पशुओं के वृद्धि, विकास और स्वास्थ्य में सहायक होता है.
- वसा त्वचा एवं प्रजनन के लिए आवश्यक होता है.
- यह भोजन को स्वादिष्ट बनाता है.
- यह विटामिन ए, डी, ई (A, D, E) को घुलाता है.
- वसा शरीर में कार्बोहाइड्रेट से दोगुना अधिक ताप और शक्ति कि उत्पत्ति करता है.
- आंत, गुर्दा तथा कोमल अंगों को शर्दी से बचाता है.
- वसा कि मात्रा अधिक होने पर उदर में संचित हो जाता है और शरीर का भार को बढ़ाता है.
- यह शरीर को सुडौल बनाता है और आहार न मिलने पर, शरीर के क्षीण होने पर शरीर को गर्मी और शक्ति देता है.
- इसे दो रूपों में प्राप्त किया जा सकता है. 1. वानस्पति वसा के रूप में तथा 2. जंतु वसा के रूप में.
- वानस्पतिक वसा के रूप में – सरसों, सोयाबीन, राई, तोरी, मूंगफली, अलसी आदि से.
- जंतु वसा के रूप में – दूध, मछली, मांस, घी, चर्बी एवं मछली के तेल से.
वसा कि कमी से शरीर में प्रभाव
- पशुओं के शरीर में वसा की कमी से घुलनशील विटामिन नहीं घुल पाता है. जिससे शरीर में विटामिन्स का अवशोषण नहीं होता है. अतः शरीर में धीरे-धीरे विटामिन की कमी होने लगती है.
- पशु का शरीर पतला और त्वचा अस्वस्थ होने लगता है.
- पशु के शारीरिक वृद्धि में रूकावट होने लगती है.
- वसा के अवशोषण नहीं होने पर गोबर भूरा और चिकना हो जाता है.
नोट –
- पशुओं को खिलाने वाली वसा वाला भोजन अधिक समय तक हवा में नहीं रखना चाहिए. अधिक समय तक हवा में रखने पर दुर्गन्ध आने लगता है. ऐसा भोजन खाने से पशुओं में निम्न लक्षण पैदा हो जाते हैं.
- पशु में त्वचा रोग उत्पन्न हो जाता है.
- पेशियाँ कमजोर हो जाती है.
- पशु के प्रजनन शक्ति में कमी हो जाती है.
पशु को वसा रहित भोजन खिलाने पर प्रभाव
- पशुओं को वसा रहित भोजन खिलाने से पशु का त्वचा सूख जाता है.
- पशुओं के बाल झड़ने लगते हैं एवं वृद्धि रुक जाता है.
- इसलिए पशुओं को वसा रहित भोजन नहीं खिलाना चाहिए.
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