मादा बछिया पैदा करने की AI तकनीक क्या है : Female Bachhiya Paida Karane Ki AI Technic Kya Hai
मादा बछिया पैदा करने की AI तकनीक क्या है। Female Bachhiya Paida Karane Ki AI Technic Kya Hai, हमारे भारत में प्राचीन समय से ही गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। क्योंकि यह दूध तो देती ही है, साथ कृषि कार्य करने के लिए बैल भी पैदा करती है।

वर्तमान समय में लोग गाय-भैस का पालन व्यावसायिक दृष्टिकोण से ज्यादा कर रहें हैं। पशुपालन आज लोगों के लिए व्यवसाय का बहुत बड़ा जरिया बन गया है। आधुनिक समय में बदलते तकनीकी ज्ञान के साथ ही पशुपालन और डेयरी फार्मिंग का बिजनेस अपने आप को अपडेट करते जा रहा है।
पशुपालन विभाग ने अपने वर्षों के अनुसंधानों से एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे किसी भी मादा पशुओं गाय, भैंस, भेड़, बकरी और अन्य पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान करके उन्नत नस्ल और मनचाहे नस्ल के स्वस्थ, सुन्दर बछड़े-बछिया पैदा किया जा सकता है। यह कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा पशुपालकों को उनके दरवाजे तक पहुच कर दी जाती है।
आज हम पशुपालन विभाग की एक ऐसी तकनीक के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसमें किसी भी गाय, भैंस में कृत्रिम गर्भाधान करके सिर्फ बछिया ही पैदा किया जा सकता है। इस तकनीक का नाम है सेक्स सॉर्टेड सीमेन की कृत्रिम गर्भाधान तकनीक। यह पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों को अधिक से अधिक लाभ या फायदा दिलाने की एक विशेष तकनीक है।
जैसा कि आप जानते है कृषि और पशुपालन भारतीय किसानों का एक प्रमुख व्यवसाय है। परन्तु आज बदलते समय में तकनीकी ज्ञान के कारण कृषि कार्य में उपयोग किये जाने वाले बैल का उपयोग बहुत ही कम हो गया है। किसान गाय से उत्पन्न बैल का उपयोग करना बंद कर रहे है और अपना सम्पूर्ण कृषि कार्य मशीनों से करा रहें है।
ऐसे अपने पशुओं से पैदा हुए नर पशु को किसान आवारा छोड़ रहे हैं जो किसानों की फसलों को बर्बाद करने के साथ, पशु दुर्घटना की संख्या में बहुत वृद्धि कर रहे है तथा अन्य और कारणों के उत्तरदायी बन रहे है।
ऐसे में आपने सेक्स सॉर्टेड सीमेन के बारे में सुना ही होगा, क्योंकि यह तकनीक मादा पशुओं की संख्या बढाकर दूध उत्पादन में वृद्धि करती है। तो आइये इस तकनीक के बारे में जानते हैं कि इस तकनीक को अपनाने से पशुपालक किसान को कैसे अधिक से अधिक आर्थिक लाभ मिलेगा।
पशुपालन विभाग की कोशिश रहती है कि पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को सुधारी जाये। इसी क्रम में पशुपालन विभाग ने समस्त पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी करने की सेक्स सॉर्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक विकसित किया है। इस सीमेन से गाय, भैंस में कृत्रिम गर्भाधान कराने से गाय में बछिया(मादा) और भैंस में पड़िया (मादा) ही उत्पन्न होगा।
यह समस्त पशुपालकों को बहुत ही कम शुल्क में घर पहुच सुविधा मिलेगा, ताकि पशुपालकों को आर्थिक रूप से सहारा देने और मादा पशु की संख्या बढ़ाने में मदद मिले। हालाकि अलग-अलग राज्यों में इसके शुल्क भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।

सेक्स सॉर्टेड सीमेन क्या है?
सेक्स सॉर्टेड सीमेन एक ऐसी तकनीक है जिससे गायों और भैंसों से मादा संतति (हिफर्स) पैदा करने की सम्भावना 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इससे किसान मादा पशुओं पर ही ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं, जो कि दूध उत्पादन में मददगार शाबित होगा।
पशुपालकों को कैसे मिलेगा लाभ?
दूध उत्पादन में बढ़ोतरी – पशुपालकों के पशुशाला में मादा पशुओं की वृद्दि होने से, दूध उत्पादन में वृद्दि होना स्वाभाविक है।
संसाधनों का सही उपयोग – सिमित संसाधनों जैसे अनाज, चारा और पानी का सही उपयोग केवल मादा पशुओं के लिए किया जायेगा।
बाहरी पशुओं की खरीदी से छुटकारा – पशुपालकों को बाहर से नये मादा पशु नहीं खरीदने पड़ेगे, जिससे बाहरी संक्रमण वाली बीमारियों का ख़तरा भी कम होगा।
आवारा पशुओं की संख्या में कमी – नर पशुओं की संख्या कम होने से सड़क पर आवारा पशुओं की समस्या कम होगी इससे किसानों की आर्थिक बोझ भी घटेगा।
जेनेटिक सुधार में तेजी – इस तकनीक को अपनाने से उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं के नस्ल में सुधार संभव है। इससे बेहतर उत्पादन और सेहतमंद पशुओं की संख्या बढ़ेगी।
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पशुपालन विभाग की योजना
पशुपालन विभाग द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अंतर्गत प्रत्येक राज्य में सलेक्टेड कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को सेक्स सॉर्टेड सीमेन वितरित किया गया है। जिसके तहत निर्धारित महज ही कम शुल्क में पशुपालकों को घर पहुँच कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा मुहैया कराया जा रहा है।
कैसे लें इस योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए पशुपालक अपने नजदीकी कृत्रिम गर्भाधान सेंटर, पशुचिकित्सालय, पशुऔषधालय या जिला चिकित्सालय या विकास खंड चिकित्सालय के पशु चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं। जिससे मादा पशु के हीट में आने पर सेक्स सॉर्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकता है।
पशुपालकों के लिए सलाह
पशुपपालन विभाग एक्सपर्ट का सलाह है कि अधिक से अधिक पशुपालक इस योजना का फायदा उठाये। इस तकनीक से पशुपालकों के आय बढ़ने के साथ-साथ, नाकारा सांडों और आवारा पशुओं की समस्या से भी राहत मिलेगा।
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