दूध उत्पादन में भारत नंबर वन कैसे बना : Dudh Utpadan Me Bharat Number One Kaise Bana
दूध उत्पादन में भारत नंबर वन कैसे बना । Dudh Utpadan Me Bharat Number One Kaise Bana, आपको जानकर बड़ी ख़ुशी होगी कि पुरे विश्व में, भारत दूध उत्पादन में नंबर वन स्थान पर है। दूध उत्पादन में भारत को नंबर वन स्थान तक लाने में नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (NLM) और राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) योजनाओं का विशेष योगदान रहा है।

नेशनल लाइवस्टॉक मिशन और राष्ट्रीय गोकुल मिशन दोनों ही योजनाओं का खास मकसद गाय-भैंस की सभी तरह की देशी नस्ल को बढ़ावा देना था। साथ ही दूध की बढ़ती डिमांड को देखते हुए दूध उत्पादन में बढ़ोतरी भी एक मकसद था और ऐसा ही हुआ। आठ साल में दुधारू पशुओं की संख्या आठ करोड़ से 12 करोड़ तक पहुँच गई।
डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि भारत को दूध उत्पादन में नंबर वन बनाने में सबसे ज्यादा योगदान दो खास बड़ी योजनाओं का है। इन दोनों योजनाओं में शामिल है नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (NLM) और राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM)। दोनों ही योजनाओं को 10-10 वर्ष पुरे हो चुके हैं।
आज भी पशुपालक और डेयरी संचालक इन योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। वही किसान भी अपनी इनकम बढ़ा रहे हैं। इन योजनाओं की कामयाबी को देखते हुए डेयरी और पशुपालन के लिए नई बनने वाली योजनाओं में भी इन्हें ध्यान में रखने की सिफारिश की गई है। संसद में भी एनएलएम और आरजीएम का जिक्र हो रहा है।
पशुपालन को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर खोलने के लिए भारत सरकार ने केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के माध्यम से एनएलएम योजना की शुरुवात की थी। एनएलएम के तहत लाइव स्टॉक से जुड़े तीन अलग-अलग सेक्टर में सब्सिडी दी जाती है।
वही व्यक्ति विशेष समेत छह तरह के लोगों को इस योजना का फायदा दिया जाता है। योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी गई है। आरजीएम योजना की शुरुवात साल 2014 में की गई थी। पांच साल की इस योजना के लिए 2400 करोड़ रूपये दिए गए थे।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)
देशी बोवाइन नस्लों के विकास, संरक्षण, बोवाइन आबादी की आंशिक बढ़ोतरी, बोवाइन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि पर ध्यान दिया जाता है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम)
इस मिशन के तहत कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से श्रेष्ठ नर जर्मप्लाज्म का प्रचार, वैकल्पिक प्रजनन से भेड़ औए बकरी की नस्लों के आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम चलाये जाते हैं। साथ ही वीर्य स्टेशन, वीर्य संग्रहालय प्रयोगशालाओं, वीर्य बैंकों, पशु कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों पर छोटे पशुओं के लिए राज्यों को सहायता दी जाती है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम – राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, पशुपालन और डेयरी विभाग 50 फीसदी से कम कृत्रिम गर्भाधान कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दे रहा है। जिससे देशी नस्लों सहित बोवाइन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़े।
कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं किसानों के दरवाजे तक फ्री में पहुंचाई जा रही है। मौजूद नये आकड़ों के मुताबिक 7। 3 करोड़ पशुओं को कवर किया जा चूका है। जिसमें 10। 17 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किये गए हैं। इससे देश में 4। 58 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।
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संतान परीक्षण और नस्ल चयन
इस कार्यक्रम का उदेश्य देशी नस्लों के सांडों सहित उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन करना है। संतान परिक्षण को गोपशु की गिर, साहीवाल नस्लों और भैंसों की मुर्राह, महेसाणा नस्लों के लिए काम किया जा रहा है।
नस्ल चयन कार्यक्रम के अंतर्गत गोपशु की राठी, थारपारकर, हरियाणा, कांकरेज नस्ल और भैंस की जाफरावादी, नीली रवि, पांढरपूरी और बन्नी नस्लों को शामिल किया गया है। अब तक 4 हजार उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन किया गया है और उन्हें वीर्य उत्पादन हेतु इस्तेमाल किया जा रहा है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ)
इस तकनीक का इस्तेमाल बोवाइन पशुओं के तेजी से आनुवंशिक विकास के लिए किया जाता है और आईवीएफ तकनीक में रूचि रखने वाले किसानों को हर बार सुनिश्चित गर्भावस्था पर 5 हजार रूपये का प्रोत्साहन दिया जाता है। देशी नस्लों के उत्कृष्ट पशुओं के प्रजनन के लिए विभाग ने 22 आईवीएफ प्रयोगशालाए स्थापित की गई है।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन
पशुपालक विभाग प्रति पशु उच्च उत्पादकता के साथ देशी संकर पशुओं के आनुवंशिक विकास के लिए मौजूद देशी जीनपूल में बेहतर नर जर्मप्लाज्म को शामिल करने का समर्थन करता है।
विभाग वैज्ञानिक प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से देशी पशुओं में सुधार करने के लिए अच्छे आनुवंशिकी वाले छोटे पशुओं के आयात की अनुमति दे रहा है।
विभाग इनोवेशन और विस्तार उप-मिशन को बढ़ावा दे रहा है जिसका मकसद भेड़, बकरी और फीड एवं चारा क्षेत्र, पशुधन बीमा और इनोवेशन से सम्बंधित अनुसंधान और विकास करने वाले संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठनों को प्रोत्साहित करना है।
फीड और चारा के उप-मिशन के तहत चारा उत्पादन के लिए आवश्यक प्रमाणित चारा बीज की उपलब्धता में सुधार करने वाला बीज श्रृंखला को मजबूत करने और प्रोत्साहन के माध्यम से चारा ब्लॉक, घास बांधने (हे बेलिंग) और साइलेज बनाने वाली यूनिट की स्थापना के लिए 50 लाख रूपये तक की 50 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है।
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