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दूध का उत्पादन दोगुना करने पशुओं को क्या खिलायें : Dudh Utpadan Doguna Karne Pashuon Ko Kya Khilaye

दूध का उत्पादन दोगुना करने पशुओं को क्या खिलायें : Dudh Utpadan Doguna Karne Pashuon Ko Kya Khilaye, गाय, भैंस के दूध उत्पादन क्षमता को दोगुना करने के लिए बस इसे खिलाएं और 1 दिन में 20-25 लीटर तक दूध आसानी से निकालें.

Dudh Ka Utpadan Doguna Karne Pashuon Ko Kya Khilaye
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भारत में पशुपालन की स्थिति

भारत में पशुपालन का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. भारत देश की लगभग 60-70% प्रतिशत आबादी कृषि और पशुपालन पर निर्भर है. छोटे और सीमांत किसानों के पास कुल कृषि भूमि की 30 प्रतिशत जोत है अर्थात कृषि की जाती है. इसमें 70% कृषक पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. इन्ही किसानों के पास कुल पशुधन का 80% भाग मौजूद है. इससे स्पष्ट है कि भारत देश का ज्यादातर पशुधन आर्थिक रूप से निर्बल वर्ग के पास है.

भारत देश में पशुधन की बात करें तो भारत में कुल 19.80 करोड़ गाय है,11 करोड़ भैंस है, 14.50 करोड़ बकरी है, 7.50 करोड़ भेड़ है, 1.30 करोड़ सूअर है और 69 करोड़ मुर्गियों का पालन किया जाता है. in पशुओं से भारत में 120 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता है और भारत विश्व में दूध का उत्पादन में प्रथम स्थान पर है. यही कारण है कि किसान कृषि क्षेत्र में 1% से 2% की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त कर रहे है. वही पशुपालन में किसान 5% से 6% की वार्षिक वृद्धि डर प्राप्त कर पा रहे है.

भारत में सबसे ज्यादा पशुधन मध्यप्रदेश के किसान भाईयों के पास है. उसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र का नंबर आता है. भैंसों की बात करें तो सबसे ज्यादा भैसे उत्तर प्रदेश में पाई जाती है.

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पशुपालन व्यवसाय

किसान भाइयों के लिए पशुपालन व्यवसाय में ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करने के लिए और उनके सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति के स्तर को ऊँचा उठाने के इए आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताने वाले हैं. आपके गाय और भैंस की दूध बढ़ने के लिए कौन सी खाद्य या वस्तु का इस्तेमाल करना चाहिए इस लेख के द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

गर्मी का मौसम शुरू होते ही दूध की कमी शुरू हो जाती है, इसका कारण है की पशु दूध देना कम कर देती है. हालाकि पशु विशेषज्ञों की माने तो गर्मी में हरे चारे की अनुपलब्धता होने पर पशु को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पता है, जिससे पशुओं में दूध की कमी हो जाती है. ऐसे में दूध की कमी को देखते हुए कुछ डेयरी कम्पनियाँ दूध के दाम बढ़ा देते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है की इसी मौके का फायदा उठाकर सिंथेटिक दूध बनाने वाले गिरोह भी सक्रीय हो जाते हैं.

लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि कुछ हद तक डेयरी सेक्टर का फ्लश सिस्टम गर्मियों के दौरान दूध की समस्या को दूर करने की कोशिश करता है. लेकिन दिक्कत यह है कि फ्लश सिस्टम हर डेयरी प्लांट में उपलब्ध नहीं होता है. बड़ी-बड़ी डेयरी कम्पनियाँ अपने अपने प्लांट में फ्लश सिस्टम बनाकर काम करती हैं.

हरा और सुखा चारा की कमी

भारतीय चारागाह एव चारा अनुसंधान संस्थान, झाँसी के पूर्व निदेशक अमरीश चंद्रा का कहना है कि आज हमारे देश में हरे चारे और सूखे चारे दोनों की ही भारी कमी है. इतना ही नहीं जो चारा उपलब्ध है वह भी अच्छी गुणवत्ता का नहीं है अर्थात यह पशुओं के लिए पौष्टिक चारा नहीं है. देश में 12 प्रतिशत हरे चारे और 23 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है. इसके अलावा खली आदि के चारे में भी 24 प्रतिशत की कमी आई है, इस समस्या को जल्द से जल्द दूर करना होगा. चारागाह की भूमि पर अतिक्रमण परेशानी का सबसे बड़ा कारण है.

बरसीम घास

पशुपालक किसान अधिकतर दुद्हरू नस्ल की गाय और भैंस का पालन करना पसंद करते हैं. इसके साथ ही कमी की दृष्टि से भी दुधारू पशुओं का पालन एक लाभदायक व्यवसाय बनता जा रहा है, लेकिन कई बार लोग पशुपालनकरके ज्यादा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं. पशुपालन करने से पहले व्यक्ति को पशुपालन का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, तभी कोई इसमें सफल हो सकता है. अगर आप भी डेयरी फार्मिंग या पशुपालन से जुड़ा व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो बरसीम घास के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं.

बरसीम घास किसानों और पशुओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. इसे पशुओं के आहार में मिलाने से उनकी दूध देने की क्षमता बढती है. इसलिए हम जाने कि बरसीम क्या है? इसे जानवरों को कब और कैसे खिलाना फ़ायदेमंद है?

बरसीम क्या है?

बरसीम घास एक विशेष प्रकार का चारा है. इसे प्राकृतिक रूप से नहीं उगाया जाता है, बल्कि विशेष रूप से पशुओं के चारे के लिए इसकी खेती की जाती है. इसे दलहनी फसल के रूप में भी पहचाना जाता है. बरसीम की खेती रबी मौसम में पर्याप्त जल सुविधा वाले क्षेत्रों में की जाती है.

बरसीम की कटाई

बरसीम की कटाई के लिए जब पौधा डेढ़ से दो महीने का हो जाये तब पहली कटाई करें. यह घास तेजी से बढ़ने के लिए जानी जाती है, इसलिए आप इसे 30 से 35 दिनों के अन्तराल में पांच से छः बार काट सकते हैं. खेतों में बरसीम की बुआई से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढती है.

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गर्मी के साथ पशुओं की दूध देने की क्षमता कम हो सकती है. इस दौरान पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए पर्याप्त हरे चारे और अनाज की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए. बरसीम घास पशुओं का दूध बढ़ाने में में सहायक है और इसे काटकर भूसें में मिलाना ज्यादा लाभकारी होता है. प्रत्येक तीन किलो भूंसे में डेढ़ किलो बरसीम घास मिलाकर पशुओं को खिलाना बेहतर होता है. बरसीम घास पौष्टिक गुणों का समृद्ध स्रोत है और पचाने में भी आसान होता है. पशुओं को नियमित रूप से बरसीम खिलाने से उनका दूध बढ़ता है और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.

यदि पानी की व्यवस्था हो तो बरसीम घास कम जगह में भी उगाई जा सकती है. यह घास तेजी से बढ़ने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ने में भी सहायक है. ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग बड़े पैमाने पर बरसीम की खेती करते हैं और इसे शहरों में रहने वाले डेयरी किसान को भी बेंचते हैं. बरसीम का यह चारा n सिर्फ आपके पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ा सकता है बल्कि आर्थिक स्थिति भी सुधर सकता है?

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प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

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