निःशुल्क पशुचिकित्सा शिविर धरमपुरा कवर्धा 2024 : Dharmpura Kawardha Pashu Chikitsa Shivir 2024
निःशुल्क पशुचिकित्सा शिविर धरमपुरा कवर्धा 2024 : Dharmpura Kawardha Pashu Chikitsa Shivir 2024, पशुधन विकास विभाग, जिला कबीरधाम द्वारा दिनांक 13 मार्च 2024 को ग्राम – धरमपुरा, विकास खंड – कवर्धा, जिला – कबीरधाम, छत्तीसगढ़ में निःशुल्क पशुचिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया.

ज्ञात हो कि पशुधन विकास विभाग, जिला कबीरधाम द्वारा पशुपालकों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर कबीरधाम जिले के विभिन्न ग्रामों में निःशुल्क पशु चिकित्सा शिविर, पशु मेला सह प्रदर्शनी, टीकाकरण, बधियाकरण इत्यादि जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पशुपालकों को लाभान्वित किया जाता है. जिससे पशुपालकों में पशुधन के प्रति लगाव और जागरूकता बना रहता है.
उक्त विषयान्तर्गत छतीसगढ़ के कबीरधाम जिले अंतर्गत आने वाले ग्राम – धरमपुरा (बिरकोना), विकास खण्ड – कवर्धा में दिनांक 13 मार्च 2024 को प्रातः 9 बजे से पशुधन विकास विभाग द्वारा निःशुल्क पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. जिसमें ग्राम धरमपुरा के पशुपालकों द्वारा अपने बीमार पशु, कमजोर जानवर, बधियाकरण, बाँझपन, गर्भाधान निदान, किलनी जूं इत्यादि की समस्या बताया गया. जिसका शिविर में उपस्थित पशुचिकित्सा विभाग कबीरधाम, विकास खंड -कवर्धा के पशुचिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, सहायक पशुचिकित्सा क्षेत्राधिकारी, परिचारक, ड्रेसर, प्रायवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता सहित अन्य कर्मचारियों के सहयोग से पशुपालको के समस्या का समाधान और उपचार किया गया.

इस पशुचिकित्सा शिविर में समस्त पशुपालकों को पशुचिकित्सा विभाग द्वारा संचालित व्यक्तिमूलक योजनाएँ – अनुदान पर बैकयार्ड कुक्कुट वितरण योजना, अनुदान पर सुकर-त्रयी वितरण योजना, अनुदान पर बकरा वितरण योजना, शत-प्रतिशत अनुदान पर सांड वितरण योजना,उन्नत मादा वत्स पालन योजना, राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के साथ-साथ वैकल्पिक पशु आहार अंजोला, धान पैरा यूरिया उपचार का जानकारी दिया गया.
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धान पैरा यूरिया उपचार क्या है?
छत्तीसगढ़ में अधिकांश किसान कृषि और कृषि उपजात वस्तुओं से जुड़े हुए हैं. जिसमें छत्तीसगढ़ में अधिकांश धान की खेती की जाती है, इसलिए छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में धान की उपज अधिक होने के कारण इसका पैरा बहुतायत मात्रा में लगभग सभी किसानों के पास उपलब्ध रहता है.
परन्तु धान का पैरा बहुत कड़ा, स्वादहीन, अपाच्य, न्यून प्रोटीन, तथा अधिक मात्रा में आक्जलेट युक्त होता है. यह आक्जलेट आहार द्वारा ग्रहण किये गए कैल्शियम से मिलकर पशुओं के शरीर में ‘कैल्शियम आक्जलेट’ नामक यौगिक का निर्माण करता है. जिससे पशुओं के शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है तथा पशु विभिन्न प्रकार की रोंगों से ग्रसित हो जाता है. इसलिए यूरिया उपचारित पैरा पशुओ को खिलाना उत्तम और स्वास्थ्य वर्धक होता है.

पैरा यूरिया उपचार की विधि
- पशुपालक 1 क्विंटल पैरा को कुट्टी के रूप में काटकर, लगभग 4 से 6 इंच के परत में जमींन पर फैला दें.
- फिर 4 kg यूरिया को 50 लीटर पानी में अच्छे से घोलकर चलनी अथवा स्प्रेयर की सहायता से पैरा कुट्टी के ऊपर एक समान छिड़काव करते है.
- इस प्रकार पुनः 1 क्विंटल पैरा को, पहले से उपचारित पैरा के ऊपर बिछाकर यूरिया के घोल का छिड़काव करें. इस तरह से प्रक्रिया की पुनरावृत्ति कर एक बार में एक ही स्थान पर 5 से 10 क्विंटल पैरा का उपचार कर भण्डारित किया जा सकता है.
- अब उपचारित पैरा के ढेर को चारों ओर से पोलीथिन से इस प्रकार ढक देते हैं कि, अन्दर की अमोनिया गैस बाहर न आने पाए. अब इस ढेर को 20 दिनों के लिए ढका हुआ छोड़ देते हैं.
- अब 21 दिन से आवश्यकता अनुसार उपचारित पैरा को बाहर निकालकर, 10 मिनट हवा में खुला रखने के बाद खिलाया जा सकता है.

यूरिया उपचारित पैरा खिलाने के लाभ
- उपचारित पैरा का स्वादिष्ट होने के कारण पशु रूचि पूर्वक खाते हैं.
- उपचारित पैरा में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण पशुओं की शारीरिक वृद्धि अच्छी होती है.
- उपचारित पैरा के उपयोग से आहार में दाने की मात्रा को कम किया जा सकता है, जिससे किसानों की आर्थिक बचत सुनिश्चित होती है.
- हानिकारक आक्जलेट की मात्रा कम होने से पशु विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्त रहते हैं.
- पैरा यूरिया उपचार आहार से मादा पशुओं के दूध उत्पादन में वृद्धि होती है.
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नि:शुल्क पशुचिकित्सा शिविर धरमपुरा में पशुपालकों को किलनी,पेशवा, घाव, भूख बढ़ाने, कमजोर जानवर को ताकत के लिए निःशुल्क दवाई, गोली, मरहम इत्यादि वितरण किया गया. इस शिविर को सफल बनाने में मुख्य रूप से ग्राम के श्री घनश्याम चंद्रवंशी, श्री जितेन्द्र यादव, श्री शिवकुमार यादव, श्री दशरथ यादव, श्री हरि यादव, श्री परमेश्वर यादव सहित समस्त ग्रामवासी का विशेष सहयोग रहा.

वही निःशुल्क पशुचिकित्सा शिविर को सफल बनाने में पशुचिकित्सा विभाग कबीरधाम के कवर्धा विकास खंड प्रभारी – श्री डॉ. प्रशांत सागर शर्मा, सहायक पशुचिकित्सा क्षेत्राधिकारी – श्री खेमराज साहू, ड्रेसर – श्री संतराम वार्डे, परिचारक – श्रीमति रेखा बघेल, प्रायवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता – श्री राजकुमार चंद्रवंशी, श्री पवन कुमार डाहरे और श्री उदय पटेल का भी विशेष सहयोग रहा.
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