देशी गाय में कौन से नस्ल के सीमेन से गर्भाधान करायें । Deshi Gaay Me Kaun Se Nasl Ke Semen Se Garbhadhan Karayen
देशी गाय में कौन से नस्ल के सीमेन से गर्भाधान करायें। Deshi Gaay Me Kaun Se Nasl Ke Semen Se Garbhadhan Karayen, देशी गायों की उत्पादन क्षमता और प्रजनन क्षमता, संकर नस्ल की गायों की तुलना में कम होती है। इसलिए देशी गायों में कृत्रिम गर्भाधान करके पशुपालकों के घर में उन्नत नस्ल के बछड़े-बछिया पैदा किया जा रहा है।
आज के दौर में पशुओं की उन्नत नस्ल और बेहतर दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान एक प्रभावी और महत्वपूर्ण प्रक्रिया बन गई है। इस प्रक्रिया के माध्यम से पशुपालक स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली नस्लों का उत्पादन कर सकते है।
कृत्रिम गर्भाधान एक्सपर्ट ने कृत्रिम गर्भाधान के महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि, यह तकनीक उन स्थितियों में भी कारगर होती है। जब उन्नत नस्ल के नर पशु या बैल उपलब्ध नहीं होते है। इस प्रक्रिया में स्वस्थ नर पशु के वीर्य का चयन करके गायों में कृत्रिम रूप से गर्भाधान किया जाता है। जिससे बेहतर नस्ल की संतानें पैदा की जा सकती है।
आदर्श डेयरी फार्मिंग | पशुधन योजनायें |
पशुधन ख़बर | बकरीपालन |
प्राकृतिक गर्भाधान का दुष्प्रभाव
देशी गाय के गर्मी या मद में आने पर पशुपालक अच्छे नस्ल के सांड के अभाव में, अपने गाय को छोटे-छोटे नाकारा सांडों से क्रॉस कराने के लिए मजबूर हो जाते हैं। पशुपालक यह प्रक्रिया सांड के अभाव में बार-बार पशु के हिट में आने पर दोहराता है।
फलस्वरूप पशुपालक के पास अवर्णित देशी पशु की संख्या और बढ़ती जाती है। जिसका सीधा प्रभाव पशुपालक के उत्पादन क्षमता और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।
प्राकृतिक गर्भाधान से पशुओं में आनुवांशिक बीमारी, संक्रामक रोग जैसे घातक बीमारियों को फैलने में बढ़ावा मिलता है। जिससे पशुओं में प्रजनन क्षमता घटती है और मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। इसलिए जहाँ तक संभव हो पशु के गर्मी में आने पर कृत्रिम गर्भाधान कराना उचित और लाभदायक है।
देशी गाय में कृत्रिम गर्भाधान के लिए सीमेन स्ट्रा का चयन
वर्तमान में पशुपालकों को यह ध्यान देना आवश्यक है की जब भी आपका कोई भी गाय, भैंस गर्मी या मद में आये तो आप किसी अच्छे नस्ल के सांड (गिर, साहीवाल, लाल सिंधी, भैंसों में मुर्रा नस्ल आदि उत्कृष्ट नस्ल के सांडों) से ही गर्भाधान कराये।
यदि पशुपालक को अपने गाय, भैंस के लिए उत्तम नस्ल का सांड नहीं मिलाता है तो निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। क्योंकि वर्तमान में लगभग आपके नजदीकी प्रत्येक शासकीय पशुचिकित्सालय में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध है, जहाँ अपने गर्मी में आये पशु से अपनी इच्छानुसार नस्ल के उत्तम सांड से कृत्रिम गर्भाधान करा सकते है।
इतना ही नहीं आपके ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता कार्यरत हैं जो आपको महज कम शुल्क में ही आपको घर पहुँच सुविधा उपलब्ध कराते है।
इसके लिए आपको पशु के गर्मी में आने पर, उन्हें फोन करके कृत्रिम गर्भाधान के लिए घर पर भी बुलाना पड़ेगा। कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता आपके पशु में गर्भाधान के पूर्व आपके पशु में गर्मी की जाँच करते है और पशु के गर्मी में पाए जाने पर पशु में कृत्रिम गर्भाधान सलाह देते हैं।
गर्भाधान के पूर्व कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता आपको पशु में किस नस्ल के सीमेन का गर्भाधान किया जाये इसके लिए आपकी राय लेते हैं या आपको राय देते है।
कृत्रिम गर्भाधान के लाभ
प्रजनन में आसानी – जब गाय या भैंस गर्मी में होती है, तो सांड की जरूरत नहीं होती है। पशुपालक अपने नजदीकी पशु चिकित्सक या कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता के सलाह लेकर उन्नत नस्ल के गुणवत्ता युक्त वीर्य का उपयोग कर सकते हैं।
प्राकृतिक गर्भाधान में एक सांढ़ सालभर में केवल 50-100 गायों को गर्भित कर सकता है, जबकि कृत्रिम गर्भाधान से यह संख्या 1000 तक पहुंच जाती है।
बीमारियों से सुरक्षा – कृत्रिम गर्भाधान से पशुओं में फैलने वाली प्रजनन संबंधी बीमारियों को रोका जा सकता है, जो स्वाभाविक गर्भाधान में एक चुनौती हो सकती है।
उत्पादन क्षमता में वृद्धि – उन्नत नस्ल से पैदा होने वाली गायों की दूध उत्पादन क्षमता अधिक होती है। गिर, हरियाणा, साहिवाल, राठी, रेड सिंधी और थारपारकर जैसी भारतीय नस्लों में कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ होता है।
कम खर्च में बेहतर परिणाम – कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया प्राकृतिक गर्भाधान की तुलना में अधिक सटीक और सफल होती है. जिससे बार-बार गर्भाधान की आवश्यकता नहीं होती और खर्च भी कम आता है।
घर पहुँच सेवा – आपके पशु के गर्मी में आने पर आपको कृत्रिम गर्भाधान के लिए, आपको किसी दुसरे स्थान पर नहीं ले जाना पड़ेगा, बल्कि कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को फोन करने पर महज ही कम शुल्क में आपको, आपके घर पर ही कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध कराता है।
मत्स्य (मछली) पालन | पालतू डॉग की देखभाल |
पशुओं का टीकाकरण | जानवरों से जुड़ी रोचक तथ्य |
कृत्रिम गर्भाधान के लिए सावधानियां
गर्मी के लक्षण पहचानें – पशु में गर्भाधान से पहले गर्मी के लक्षण पहचानना जरूरी है, जैसे बार-बार पूछ उठाना, प्रजनन अंगों में सूजन और गुलाबी रंग का होना। अन्य पशुओं को सूंघना और उन पर चढ़ना। इन लक्षणों के दिखने पर पशुओं में 10-12 घंटे बाद कृत्रिम गर्भाधान करना चाहिए।
गर्भ परीक्षण – गर्भधारण के 90 दिन बाद पशु चिकित्सक से गर्भ परीक्षण अवश्य कराएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गर्भ स्वस्थ है।
स्वास्थ्य जांच – कृत्रिम गर्भाधान से पहले पशु की एक बार स्वास्थ्य जांच जरूर कराएं। इससे पशु की स्वास्थ्य समस्याओं का समय रहते पता लग सकेगा और सुरक्षित गर्भाधान किया जा सकेगा।
इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई
इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ
इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके
इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें
प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार
किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.