डेयरी फार्मिंग में असफलता के कारण : Dairy Farming Me Asafal Hone Ke Karan
डेयरी फार्मिंग में असफलता के कारण : Dairy Farming Me Asafal Hone Ke Karan, भारत में डेयरी फार्मिंग आधुनिक उपकरणों, डिजाईन और पशुओं के गुणवत्तापूर्ण नस्लों के साथ नियमित आधार पर सैकड़ों डेयरी फार्म खोले जाते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश निम्न कारणों के वजह से असफल हो जाते है. जिससे लोगों में डेयरी फार्मिंग में रोजगार के सुनहरे अवसर में रूचि कम दिखाई देता है.

डेयरी फार्म में जब तक हम 3-4 गाय या भैंस रखते है और 20 से 25 लीटर दूध का उत्पादन होता है, तब तक पशुओं की समस्त देखभाल हम स्वयं करते हैं, मजदूर के ऊपर निर्भर नहीं रहते है. ऐसे में हमें डेयरी फार्मिंग में बहुत अधिक सफलता दिखाई देती है. लेकिन जैसे ही हम 100-200 लीटर दूध उत्पादन के बारे में सोचते है, तो मजदूर की समस्या, पशु आहार का अधिक मूल्य, अधिक दूध देने वाली गायों प्रबंधन की समस्या, पशु उपचार जैसे अन्य कई कारणों के वजह से समस्या का सामना करना पड़ता है.
आदर्श डेयरी फार्मिंग | पशुधन योजनायें |
पशुधन ख़बर | बकरीपालन |
डेयरी फार्म के असफलता के कारण
दुधारू पशुओं का चयन करते समय हम यदि भैंस या देशी गाय रखते है तो हमें औसत दूध उत्पादन 6-7 लीटर प्रति पशु प्रतिदिन दूध उत्पादन से अधिक प्राप्त नहीं होता है. और भैंसों में निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
- भैंस में देरी से वयस्कता आती है.
- भैंस में मौसमी प्रजनन पाई जाती है, अर्थात भैंसें प्रायः ठंड (सर्दी) के दिनों में गर्मी या मद में आती है.
- भैंसों में चुप्पिमद या सायलेंट हिट पाई जाती है, अर्थात भैंस में गर्मी के लक्षण स्पष्ट दिखाई नहीं देती है. जिससे भैंस में गर्मी के लक्षण पता करने में समस्या होती है.
- भैस में गर्भधारण काल का समय, गाय की अपेक्षा अधिक होता है. क्योंकि की भैंसे 10 माह 10 दिन (310दिन) का गर्भधारण करती है जबकि गाय में 9 माह 9 दिन (280दिन) का गर्भधारण काल होता है.
- भैंस में दो बच्चे को जन्म देने अर्थात दो ब्यात का अन्तराल भी अधिक होता है.
- भैंस गर्भधारण करने के तुरंत बाद, दूध देना बंद कर देती हैं.

डेयरी फार्मिंग की अधूरी ज्ञान
- जब डेयरी फार्मिंग ऐसे लोगों द्वारा शुरू किया जाता है, जिन्हें डेयरी के प्रथाओं के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं होता तो उनके द्वारा आधुनिक और उत्कृष्ट सुविधाओं से युक्त डेयरी फार्म को बेकार समझा जाता है. व्यवसाय में पैसा लगाने से पहले, उसके कुछ बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.
- अधिकांश लोग पैसा कमाने के ही उद्देश्य से डेयरी व्यवसाय का कार्य प्रारंभ करते हैं और वे इस तथ्य को भूल जाते हैं कि वे जीवित पशुओं के साथ कार्य प्रारंभ कर रहे हैं, न कि मशीनों या उपकरणों के साथ. इस व्यवसाय में जानवरों को पालने की प्रक्रिया को पूरी जूनून के साथ करनी चाहिए न कि व्यावसायिक लाभ की मंशा से.
- पहली बार डेयरी फार्म की शुरुवात करने पर अधिक पशुओं के साथ व्यवसाय प्रारंभ नहीं करना चाहिए. प्रारम्भ में हमेशा 4-5 गायों से व्यवसाय प्रारम्भ करें फिर धीरे-धीरे डेयरी फार्म का ज्ञान होने पर पशुओ की संख्या में वृद्धि करें.
- किसान ज्यादातर पशुओं के प्रजनन चक्र को नहीं समझते और स्थानीय पशु चिकित्सकों द्वारा दी गई कृत्रिम गर्भाधान की जानकारी तक ही सिमित रहते हैं. जिससे पशु का मद चक्र निकल जाता है और पशु सही समय पर गर्भित नहीं हो पाता है.
- डेयरी पशुपालक द्वारा बछड़ों का उचित देखभाल नहीं करने पर नुकसान का सामना करना पड़ता है. क्योकि फार्म के मादा बछड़ों का उचित प्रबंधन, उपचार, कृमिनाशक दवाई देना आदि का ध्यान रखने पर बछिया जल्दी वयस्क हो जाती है और 2 से 3 वर्ष में जल्दी ही गर्भित हो जाती है.
- किसानों का चारा प्रबंधन सिद्धांत को नहीं समझते हैं और वे दूध देने वाली गायों को भी अन्य गायों की तरह चारा प्रबंधन में कटौती कर देते हैं, जिससे दुधारू पशु के उत्पादन क्षमता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है.
- डेयरी फार्म के मालिकों को डेयरी व्यवसाय और जानवरों पर स्वयं नजर रखनी चाहिए. फार्म की देखभाल के लिए ज्यादातर दूसरों के ऊपर निर्भर नहीं रहना चाहिए.
- डेयरी फार्म की शुरुवाती दौर में फार्म में उत्पादन या मुनाफा कम होने पर डेयरी फार्म बंद करने का निर्णय ले लेते हैं. इसलिए डेयरी फार्मिंग व्यवसाय में परिस्थितियों से निपटने के लिए बहुत अधिक इच्छाशक्ति और धैर्य की आवश्यकता पड़ती है. कुछ समय तक डेयरी व्यवसाय पर टीके रहने से निश्चित ही सफलता और मुनाफा आना शुरू हो जाता है.

मत्स्य (मछली) पालन | पालतू डॉग की देखभाल |
पशुओं का टीकाकरण | जानवरों से जुड़ी रोचक तथ्य |
दूध का घनत्व बदलना

इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई
इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ
इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके
इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें
प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार
किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.