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दुधारू पशु को खली खिलाने के फायदे : Benefits of Feeding Cake to Dairy Animals

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दुधारू पशु को खली खिलाने के फायदे : Benefits of Feeding Cake to Dairy Animals, भारत में पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है. यहाँ किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते है. ऐसे में पशुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए पशुओं से बेहतर दूध उत्पादन लेना बेहद चुनौती पूर्ण काम हो जाता है. खासकर गाय, भैंस, भेड़, बकरी जैसे दुधारू पशुओं में बीमारियों का खतरा को देखते हुए दूध उत्पादन (Milk Production) कम हो जाता है. ऊपर से चारा संकट की समस्या के कारण पशुओं को सही पोषण नहीं मिल पाता. ऐसी स्थिति में पशु विशेषज्ञ दुधारू पशुओं को कुछ खास घरेलू चीजें खिलाने की सलाह देते हैं, जिससे कि पशुओं की सेहत की दुरुस्त रहे और उनसे बेहतर दूध उत्पादन भी मिल सके. पशुओं में बेहतर दूध उत्पादन को बनाये रखने के लिये घरेलु उत्पाद जैसे – अलसी की खली, मूंगफली की खली, बिनौला की खली, तिल की खली, सरसों की खली सोयाबीन की खली आदि को पशु के आहार में शामिल करके दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.

Benefits of Feeding Cake to Dairy Animals
Benefits of Feeding Cake to Dairy Animals

खली किसे कहते है?

भारत के किसान अपनी खेती में विभिन्न प्रकार के फसलों का बुवाई करते हैं. चूँकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा कृषि और पशुपालन पर आधारित है. पशुपालक किसानों द्वारा कृषि से प्राप्त होने वाले उत्पाद जैसे – पैरा, भूंसा, चारा के साथ-साथ पशुओं के लिये बहुत से महत्वपूर्ण उत्पाद प्राप्त किया जाता है. इनमें कृषि और फसल पर आधारित कुछ उत्पाद ऐसे हैं जो पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है. इन उत्पादों में कृषि द्वारा तिलहनी फसलों से प्राप्त बीज से तेल निकालने की प्रक्रिया में से उपपदार्थ को खली कहते हैं. खली बहुत ही स्वादिष्ट, पाचक और प्रोटीन की अधिकता से भरपूर होती है. जिसके कारण इसे पशुओं के आहार में इसका प्रयोग किया जाता है. पशु इसे बड़े चाव के साथ खातें हैं और इससे दूध देने वाले पशुओं में दूध की बढोतरी होती है.

खली बनाने की विधि

1 . मशीन द्वारा – मशीन द्वारा प्राप्त खली की पौष्टिकता कम होती है परंतु इसमें पशुओं के दूध उत्पादन में अधिक लाभ मिलता है. इस प्रकार की खली को मशीन द्वारा तेल निकालते समय प्राप्त किया जाता है. जैसे – अलसी की खली, मूंगफली की खली, बिनौला की खली, तिल की खली, सरसों की खली सोयाबीन की खली आदि को शामिल किया जा सकता है.

2. बैलों से कोल्हू द्वारा – इस विधि के द्वारा प्राप्त खली में पौष्टिकता की मात्रा अधिक होती है, परंतु उत्पादन कम होता है. इस विधि से प्राप्त खली में नमीं की मात्रा अधिक होती है और इसे ज्यादा दिन तक रखने में फफूंद लगने की सम्भावना होती है. इसलिए इस विधि का प्रचलन बहुत कम है. इसमें – अलसी की खली, मूंगफली की खली, बिनौला की खली, तिल की खली, सरसों की खली सोयाबीन की खली आदि को शामिल किया जा सकता है.

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खली प्रदान करने वाले फसल

1 . मूंगफली की खली – यह किसानों कृषि से प्राप्त होने वाले मूंगफली की बीज से तेल निकालते समय मिलने वाला उपपदार्थ होता है. इसमें 40% प्रोटीन की मात्रा होती है तथा 1.28% फास्फोरस (P) नामक खनिज लवण की मात्रा पायी जाति है. यह काफी स्वादिष्ट होता है और दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन तथा युवा पशुओं के लिये काफ़ी फायदेमंद होता है.

2. अलसी की खली – यह अलसी के बीज से तेल निकालते समय प्राप्त होने वाले उपपदार्थ होता है. इसमें 25% तक पाचक प्रोटीन पाई जाति है तथा इसमें कैल्शियम (Ca), फास्फोरस (P) की भी अधिक मात्रा पायी जाती है.यह अधिक स्वादिष्ट एवं पाचक युक्त होती है.

3. अलसी की खली – यह खली अलसी के बीज से तेल निकालने के दौरान प्राप्त होती है. इसमें 25% तक पाचक प्रोटीन पायी जाति है तथा कैल्शियम (Ca) और फास्फोरस (P) की भी अधिक मात्रा होती है. यह अत्यधिक स्वादिष्ट एवं पाचक होती है.

4. बिनौला या कपास की खली – बिनौला अथवा कपास की खली में प्रोटीन और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है. दुधारू पशुओं को खिलाने से दूध की मात्रा बढती है. इसका उत्पादन अन्य खलियों से ज्यादा होता है, इसलिए कपास की खली का पशु आहार में प्रयोग अधिक होता है.

5. तिल की खली – तिल की खली में कैल्शियम (Ca), फास्फोरस (P) और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. इसका भण्डारण अधिक समय तक किया जा सकता है. क्योंकि यह जल्दी ख़राब नहीं होता है.

6. सरसों की खली – इस खली का प्रयोग गावों में अधिक होता है, परंतु इस खली में अधिक गंध आने के कारण पशु इसे खाना पसंद नहीं करते है. बैलों को खिलाने में इसका उपयोग अधिक किया जाता है. पौष्टिकता में यह खली अलसी के खली के बराबर होती है.

7. सोयाबीन की खली – सोयाबीन की खली सभी खलियों में सर्वोत्तम खली है. इसमें 38% से 40% तक प्रोटीन की मात्रा पायी जाति है तथा 2400 मिली. सल्फर(S), 40-50 ग्राम विटामिन E, 2% लेसिथिन, 10% लिनोलिक अम्ल पायी जाति है. इसे आर्थिक स्तर पर सबसे सस्ता, पौष्टिक, पाचक खली कहा जाता है. इसको पिलाने से दूध में वृद्धि एवं दुग्धकाल बढ़ता है. इस खली से पशुओं में प्रजनन शक्ति में वृद्धि एवं रोगों सी लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है.

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