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बकरियों में हीट का कैसे पता लगायें : Bakariyon Me Heat Ka Kaise Pata Lagayen

बकरियों में हीट का कैसे पता लगायें : Bakariyon Me Heat Ka Kaise Pata Lagayen, पशुपालकों के लिए गाय, भैंस हो या भेड़-बकरी, इनके ही दूध और दूध से बने उत्पाद को बेचकर मुनाफा कमाते है। ऐसे में इन पशुओं के रहन-सहन, पोषण प्रबंधन आदि का विशेष ध्यान देना बहुत ही जरुरी है।

Bakariyon Me Heat Ka Kaise Pata Lagayen
Bakariyon Me Heat Ka Kaise Pata Lagayen

पशुपालकों या डेयरी फार्मरों को अपने पशुओं से अच्छे उत्पादन लेने के लिए, पशुओं की प्रत्येक क्रियाकलाप पर विशेष निगरानी की आवश्यकता है। लेकिन पशुओं से दूध और अन्य उत्पादन तभी लिया जा सकता है जब पशु सही समय पर बच्चा दे। डेयरी फार्मिंग या पशुपालन में गाय, भैंस, भेड़ बकरी आदि से उत्पादन के लिए उनके सही हीट का पता लगाना बहुत ही जरुरी है। तभी सही समय पर पशुओं को गाभिन कराके अच्छा उत्पादन लिया अज सकता है।

एनिमल एक्सपर्ट की माने तों कई बार ये पता लगाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है कि पशु कब हीट में आई है। कभी -कभी पशु हीट में आई हुई होती है और पशुपालक को पता ही नहीं चाल पता है। खास तौर पर बकरी के हीट के बारे में पता लगाने के लिए दो खास तरीके को अपनाया जा सकता है।

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बिना पैसा खर्च किये ये दो तरीके अपनाकर आसानी से बकरी के हीट में आने के लक्षण के बारे में पता लगाया जा सकता है। हालाकि जो लोग अपने पशु से सम्बंधित डाटा रखते हैं उनके लिए ये थोड़ा आसान है, लेकिन एक फिक्स समय का पता लगाने के लिए ऐसे अनुभवी लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ती है।

गोट फार्मिंग के दौरान अगर बकरी सुबह हीट में आई है तो उसे शाम तक एक अच्छे ब्रीडर से या फिर कृत्रिम गर्भाधान, जो भी फार्मर को अच्छा लगे गाभिन करा देना चाहिए। अगर बकरी शाम को हीट में आ रही है तो अगले दिन सुबह तक गाभिन करा देना चाहिए।

इसका एक फायदा ये है कि वक्त से बकरी को गाभिन कराने से बच्चा जल्दी मिल जाता है। वर्ना दोबारा हीट में आने के लिए 15 से 20 दिन का वक्त लग जाता है। अब बच्चा जल्दी आएगा तो दूध भी जल्दी देगी नहीं तो बकरी को बिना दूध के भी हर रोज चारा खिलाना पड़ता है तो पशुपालकों की लागत बढ़ जाती है।

बकरी के हीट के बारे में पता लगाने के दो आसान और बिना खर्च के तरीके हैं।

पहला जिन बकरियों के बारे में ये पता हो कि इनके हीट में आने की सम्भावना है तो उनका झुण्ड अलग बना दें। फिर उस झुण्ड में ब्रीडर बकरे को कंट्रोल करते हुए बकरियों के बीच में छोड़ दें। बकरा हीट में आई बकरी को सूंघकर अपना व्यवहार बदलने लगता है।

दूसरा तरीका ये है कि जो खस्सी बकरा है जो ब्रीडर नहीं बन सकता है और क्रास नही कर सकता है उसे बकरियों के झुण्ड में छोड़ा जा सकता है। वो भी फ़ौरन बदलते हुए व्यवहार में आ जाता है और आसानी से हीट में आई बकरी के बारे में पता चल जाता है।

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बकरी को हीट में लाने के प्राकृतिक तरीके

आहार प्रबंधन

बकरियों के आहार में ऊर्जा और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें, जैसे जई, मकई, अल्फाल्फा और अन्य उच्च गुणवत्ता वाले चारे। ये पोषक तत्व बकरियों के शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करेंगे और उनकी प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देंगे।

बकरियों के आहार में आवश्यक खनिज और विटामिन जोड़ें, जैसे जिंक, कॉपर, और विटामिन ए। ये प्रजनन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं और अंडाशय की गतिविधियों को उत्तेजित करने में मदद करते हैं।

सुनिश्चित करें कि बकरियों को पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी मिल रहा हो। अगर उन्हें दूषित जल मिला तो बकरी को हिट में आने में परेशानी हो सकती है। इसलिए बकरी के लिए समझ जल का इंतजाम करें।

Bakariyon Me Prajanan
Bakariyon Me Prajanan

बकरी को हीट में लाने के वैज्ञानिक तरीके

हार्मोनल उपचार

हार्मोनल उपचार एक असरदार तरीका हो सकता है, जिसमें इंजेक्शन के जरिए बकरी को हिट में लग जाता है। लेकिन इसे पशु चिकित्सक की निगरानी में ही करना चाहिए।

  1. प्रोस्टाग्लैंडिन (PGF2alpha) – यह हार्मोनल इंजेक्शन बकरी के रिप्रोडक्टिव साइकल को सिंक्रोनाइज करने में मदद करता है। प्रोस्टाग्लैंडिन का उपयोग तब किया जाता है जब बकरी को हीट में लाने की आवश्यकता होती है। इसे सही समय पर दिया जाने वाला इंजेक्शन बकरियों को 2-3 दिनों के भीतर हीट में ला सकता है।
  2. प्रेग्नेंट मेरियन सीरम गोनाडोट्रॉफ़िन (PMSG) – यह इंजेक्शन अंडाशय की गतिविधियों को उत्तेजित करने के लिए उपयोग किया जाता है। PMSG का उपयोग बकरियों में अंडोत्सर्जन को बढ़ावा देने और बकरी को हीट में लाने के लिए किया जाता है। इसे सही खुराक में और उचित समय पर देने से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
  3. सीआईडीआर (Controlled Internal Drug Release) – सीआईडीआर एक डिवाइस है जिसे योनि में डाला जाता है और यह प्रोजेस्टेरोन रिलीज करता है। इसे 10-14 दिनों के बाद हटाने पर बकरियां हीट में आ सकती हैं। इसका उपयोग विशेष रूप से उन बकरियों के लिए किया जाता है, जो बकरियां प्रकृतिक रूप से हिट नहीं आती है।

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