जोड़ों के दर्द से नहीं होगी गाय भैंस को परेशानी : Animals Will Not Longer Suffer From Pain
जोड़ों के दर्द से नहीं होगी गाय भैंस को परेशानी : Animals Will Not Longer Suffer From Pain, अब गाय भैंस को नहीं होगी जोड़ों और हड्डी के दर्द से परेशानी. पशुओं के कभी किसी वाहन से टकरा जाने के चलते तो कभी किसी इंसान द्वारा जानबूझकर या अनजानें में चोटिल कर दिया जाता है.

कभी-कभी हमारे पशुधन जाने-अनजाने में में चोटिल हो जाते हैं. कभी किसी वाहन से टकरा जाने के चलते कई बार ये चोट इतनी गहरी होती है कि इससे पशुओं की हड्डी भी प्रभावित हो जाती है. पशु को चलने फिरने समेत उठने-बैठने में भी काफी तकलीफ होती है. लेकिन इस तकनीक से पशुओं के इस परेशानी को जड़ से ख़त्म की जा सकती है.
ख़बरों के अनुसार लाला लाजपत राय वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (लुवास), हिसार जल्द ही पशुओं को बड़ी राहत देने जा रहा है. अब इंसानों की तरह से ही पशुओं को भी हड्डियों और जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिल सकेगा. जल्द ही लुवास एक प्राइवेट कम्पनी के साथ मिलकर कृत्रिम इम्प्लांट से मिलकर पशुओं का ईलाज करेगी.
इसके लिए लुवास ने हाल ही में प्राइवेट कंपनी आर्थोटैक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड वलसाड़ गुजरात के साथ एमओयु साइन किया है. लुवास के वाईस चांसलर प्रो. डॉ. विनोद कुमार वर्मा का कहना है कि इस योजना पर वेटरनरी कालेज सर्जरी और रेडियोलागिस्ट डिपार्टमेंट ने काम करना शुरू कर दिया है.
इसके लिए कंपनी के साथ जरुरी औपचारिकताएँ भी पूरी कर ली गई है. इस योजना को पूरा करने में लुवास के मानव संसाधन निदेशालय के निदेशक डॉ. राजेश खुराना, अनुसंधान निरदेशक डॉ. नरेश जिंदल और आर्थोटेक के निदेशक सुशांत बनर्जी और सुनीता बनर्जी का अहम् योगदान रहा है.
इससे कुत्तों को होगा हिप डिस्प्लेसिया में होगा फायदा
लुवास के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरएन चौधरी का कहना है कि इससे कृत्रिम इम्प्लांट से कुत्तों में हिप डिस्प्लेसिया और फ्रैक्चर को ठीक करने में काफी सहायता मिलेगी. इसके साथ हड्डी कैंसर से पीड़ित पशुओं में संक्रमित हड्डी-जोड़ को काटने के बाद पशु फिर से पूरी तरह से चलने-फिरने में कामयाब हो सकेगा. पालतू पशुओं के लिए खासतौर पर बने इम्प्लांट उपलब्ध नही होने से अभी इनका ईलाज करने में काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है.
लुवास के ही डॉ. राम निवास पशुओं के लिए आर्थोटेक कंपनी में तैयार होने वाले कृत्रिम इम्प्लांट की डिज़ाइन तैयार करेंगे. इस तकनीक की मदद से सबसे पहले कुल्हे के जोड़ में प्रत्यारोपण किया जायेगा. वाईस चांसलर प्रो. विनोद कुमार वर्मा ने इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए सभी को शुभकामनायें.
चुम्बक से लाखों पशुओं का जान कैसे बचायें.. खबरों के मुताबिक एक छोटा सा चुम्बक आपके पशुओं के जान बचा सकता है. आमतौर पर पशु खाद्य पदार्थों के साथ नट, बोल्ट, तार, कील आदि हार्डवेयर सामग्री को खा लेते हैं. जो कि पशुओं के लिए मुसीबत बन जाती है और पशुओं के मौत का कारण भी बन जाता है.
चुम्बक का प्रयोग कैसे करें?
डॉ. इन्द्रजीत वर्मा बताते हैं कि इस रोग से जानवरों को बचाने के लिए 2-3 सेंटीमीटर का गोल चुम्बक हम जानवरों के पेट में उतार दें. ये चुम्बक पेट में जाने के बाद पशु को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है. अब गाय भैंस मेटल की जो भी चीज खाती है तो वो पेट के रास्ते में इस चुम्बक से चिपक जायेगा. चुम्बक से चिपकने के बाद मेटल भी पशु के पेट में कोई नुकसान नहीं पहुचायेगा.
यदि पशुओं के पेट में चुम्बक रखने के बाद पशुओं के ब्यवहार और दूध उत्पादन में कोई अंतर आता है तो फ़ौरन गाय-भैंस का एक्सरे करा लें. अगर एक्सरे से ये मालूम हो जाए कि चुम्बक के साथ मेटल की बहुत सारी चीजें आकर चिपक गई है तो ऑपरेशन करा लेना चाहिए, ये एक बहुत छोटी सी सर्जरी होती है.
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प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
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