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अमेरिकी कीट भारत में कैसे मचा रही तबाही : American Kit Bharat Me Macha Rahi Tabahi

अमेरिकी कीट भारत में कैसे मचा रही तबाही : American Kit Bharat Me Macha Rahi Tabahi, शहडोल जिले में आजकल मक्के की फसल में ‘फ़ॉल आर्मी वर्म’ नामक कीट के प्रकोप देखने को मिल रहा है. यह एक विदेशी कीट है जो आमतौर पर मक्के की फसलों पर पाया जाता है.

American Kit Bharat Me Macha Rahi Tabahi
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यह विदेशी अमेरिकन कीट शिकार की खोज में एक दिन में 100 किलोमीटर तक सफ़र कर लेता है. इसकी क्या ख़ासियत है, ये फसलको कितना नुकसान पहुंचा सकता है, इसका क्या ईलाज है और इसकी रोकथाम समय पर क्यों जरुरी है आइये जानते हैं.

शहडोल फ़ॉल आर्मी वर्म अटैक

बदलते वक्त के साथ ही बहुत सी चीजें बदलती है. खेती किसानी में जहाँ एक ओर आधुनिकता आ रही है, तो वही दुसरे ओर कई ऐसे रोग और कीटों का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है, जो पहले यहाँ नहीं देखने को मिलते थे. आज बात एक ऐसे ही कीट की करेंगे जिसे ‘फ़ॉल आर्मी वर्म’ के नाम से जाना जाता है.

शहडोल जिले में इन दिनों मक्के की फसल में इसका प्रकोप देखने को मिल रहा है, आखिर ये विदेशी कीट कहाँ से आया, इसकी क्या ख़ासियत अहै, ये फसलको कितना नुकसान पहुंचा सकता है, इसका क्या ईलाज है और इसकी रोकथाम समय पर क्यों जरुरी है आइये जानते हैं कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी. के. प्रजापति से ……..

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फसलों में दिख रहा प्रकोप

कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी. के. प्रजापति बताते है कि “शहडोल आदिवासी बहुल इलाका है और यहाँ मक्के की फसल की खेती कुछ रकबे में की जाती है. जहाँ-जहाँ मक्के की फसल की खेती इन दिनों की जा रही है, वहां मक्के की फसल में फ़ॉल आर्मी वर्म का प्रकोप देखने को मिल रहा है. ऐसे में जरुरी है कि किसान इस कीट के बारे में जानें और इसके रोकथाम के क्या उपाय हैं, इसको भी समझे. क्योंकि सही समय पर फसलों को नुकसान पहुँचाने से पहले इस कीट का रोकथाम जरुरी है, नही तो ये फसल को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है.”

फ़ॉल आर्मी वर्म कहाँ से आया?

कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी. के. प्रजापति बताते है कि “फ़ॉल आर्मी वर्म मूलतः एक कीट है और इसका मूल स्थान अमेरिका है. वहां से ये हमारे देश में आया है. फ़ॉल आर्मी वर्म भारत में सबसे पहले साल 2018 में कर्नाटक के सिमोगा में पाया गया था. ये विश्व के 70 देशों में लगभग 80 प्रकार की फसलों को मुख्य रूप से नुकसान पहुंचाता है.”

मक्का पसंदीदा फसल और अन्य फसलों को भी नुकसान पहुचता है.

फ़ॉल आर्मी वर्म का मुख्य रूप से पसंदीदा पसल मक्का है, लेकिन ये कीट बहुभक्षी किस्म का होता है. मतलब मक्के की फसल उपलब्ध न होने पर ये अन्य फसलों को भी क्षति पहुँचाने का कार्य करता है. इस कीट की अनुकूल अवस्था जो होती है, इसके लिए 30 से 35 डिग्री तक की गर्मी और 70% तक की आर्द्रता होती है जो इसके लिए सबसे अनुकूलित अवस्था है. बीच-बीच में वर्षा के साथ मौसम का खुलना इसके लिए बहुत अनुकूल अवस्था होती है. इसका 35-40 दिनों तक का जीवन चक्र होता है. अगर अनुकूल अवस्था 1 वर्ष में होती है तो यह 6 से 7 जीवन चक्र पूरा कर लेते हैं.

1 दिन में 100 किलोमीटर तक का यात्रा

कृषि वैज्ञानिक ने बताया की फ़ॉल आर्मी वर्म बहुत ही ख़तरनाक तरह का कीट है. अगर इसे समय से मक्के की फसल नहीं मिलती है तो यह करीब 100 किलोमीटर तक का भी सफ़र तय कर सकता है. ये कीट पूरी तरह से झुंड में आक्रमण करता है. इसलिए जिस फसल पर टूटता है उसे पूरी तरह से ख़त्म कर देता है.

दिन में छिपना, रात में खाना, ऐसे करें पहचान

ये कीट दिन के समय में मकई के बीच में पत्तियों में जो जगह होती है जिसे गोंफ बोलते हैं वहां पर छिपा होता है. यह रात्रि के समय फसलों पर अटैक करता है. इसे निशाचार किस्म का भी कह सकते हैं, ये कीट मक्के की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है.

इस कीट की पहचान की बात करें तो ये इल्ली मुख्य रूप से हल्के हरे और गुलाबी रंग का होता है. इसके सिर वाले भाग में वाई शेप की संरचना बनी होती है जो इसकी मुख्य पहचान है. अगर मक्के की फसल में सही समय पर इसका नियंत्रण नहीं किया गया तो यह फसल को लगभग 70 से 80% तक नुकसान पहुंचाते हैं. शुरुवाती अवस्था पर मक्के की फसल में आप देखेंगे की पत्तियों में कटे-फटे पेट दिख रहे होते हैं. बाद में अधिक होने पर जब नर मंजरी बनते हैं, गोंफ बनता है तो दाने को पूरी तरह से ये नुकसान पहुंचाता है.

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ऐसे करें कंट्रोल

कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी. के. प्रजापति बताते हैं की फ़ॉल आर्मी वर्म कीट मक्के की फसल में होता है और अगर समय पर इसका उपचार नहीं किया गया तो यह फसल को नष्ट कर देता है. इसकी रोकथाम रासायनिक और जैविक दोनों तरह से होती है. रासायनिक तरीके की बात करें तो कई ऐसे रासायनिक कीटनाशक आते हैं जो फ़ॉल आर्मी वर्म को अलग-अलग स्टेज में रोक देता है और जिससे फसल पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है. अगर फ़ॉल आर्मी वर्म का प्रकोप आपके फसल अपर है तो कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर सही दवा पूछकर इसका रोकथाम कर सकते हैं.

इसके नियंत्रण के लिए सर्वप्रथम जो सबसे जरुरी है कि मक्के की फसल के साथ अंतरवर्ती फसलों की खेती करें जैसे मकई के साथ अरहर, मुंग, उड़द की खेती कर सकते हैं. जो मक्के की सीमावर्ती लाइन होती है वहां पर हाइब्रिड नेपियर की खेती करनी चाहिए. इअके अलावा फसल में नाइट्रोजन की अधिकता ना हो इस बात का ख्याल रखें. इस कीट के कई स्टेज होते हैं. शुरुवाती दौर जब इस कीट का लार्वा होता है इल्ली होती है इस अवस्था में रोक देने से और बेहतर है.

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