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गोट फार्मिंग से बरसने लगेंगे घर में होगी नोटों की बौछार : African Bakripalan Se Barsenge Ghar Me Note

गोट फार्मिंग से बरसने लगेंगे घर में होगी नोटों की बौछार : African Bakripalan Se Barsenge Ghar Me Note, अगर आप स्टार्टअप करने की सोच रहे हैं तो बकरीपालन आपको मालामाल कर सकता है. लेकिन मालामाल होने के लिए आपको दिमाग लगाना पड़ेगा, ताकि आपको मुनाफे के बजे घाटा ना हो.

African Bakripalan Se Barsenge Ghar Me Note
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आज हम आपको बताएँगे कि आप बकरीपालन से कैसे बन सकते हैं करोड़पति के बारे में. आज तक आपने बकरीपालन के बारे में सुना या देखा होगा. लेकिन बकरीपालन में मुनाफा किस तरह से कमाया जाये एक बड़ा सवाल है. लोग बकरियां तो पालते हैं, लेकिन उन्हें उतना मुनाफ़ा नहीं होता है. इसलिए बकरी पालन से पहले कुछ चीजों को समझना बेहद जरुरी होता है, ताकि आपका मुनाफा ज्यादा से ज्यादा हो. छत्तीसगढ़ में बकरी पालन के लाखों सम्भावनाएं हैं. इससे पशुपालक अपने थोड़े से ही प्रयास में अच्छा मुनाफ़ा बकरी पालन से ले सकते हैं.

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किन नस्लों के बकरी या बकरा का पालन करें?

यदि आप लोकल या देशी नस्ल के बकरी या बकरा का पालन करते हैं तो इसका वजन अधिकतम 15 किलो तक होता है. इनकों अच्छी पोषक तत्व युक्त खुराक देने पर भी इनका वजन 20-25 किलो तक हो पाता है. लेकिन इसके विपरीत उन्नत नस्ल के बकरा-बकरी का वजन 50 किलो तक जा सकता है. वहीं इनमें कुछ नस्ल तो 100 किलोग्राम तक वजन के होते हैं. इसलिए हमें गोट फार्मिंग करते समय ऐसे नस्ल का चुनाव करना या पालन करना चाहिए जिनका वजन अधिक होता हो और हमें अधिक से अधिक मुनाफा दे सकें.

कृत्रिम गर्भाधान की नई तकनीक से फ़ायदा

छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले के पशुचिकित्सक डॉ. चन्द्रकुमार मिश्रा इस काम के लिए पुरे राज्य में मॉडल के रूप में जाने जाते हैं. करीब 2 वर्ष पहले उनकी टीम ने कृत्रिम गर्भाधान के जरिये नस्ल सुधर का काम शुरू किया था. जिसे प्रदेश सरकार ने बहुत सराहा था, फिर इस इस योजना को पुरे प्रदेश में शुरू किया गया. जिसके बाद प्रत्येक जिले में वेटनरी डॉक्टर की टीम सरगुजा पहुंची, इसके बाद पुरे प्रदेश में नस्ल सुधार का काम शुरू हुआ.

उन्नत नस्ल के बकरों का कृत्रिम गर्भाधारण (AI) करके अधिक वजन वाले बकरे तैयार करने का यह प्रयोग सफल हुआ. डॉ. चन्द्रकुमार मिश्रा के मुताबिक जिले में करीब 4 हजार से अधिक लोगों ने उन्नत नस्ल के बकरों का उत्पादन कर लाभ कमाया. इन बकरों का बजन 30-40 तक देखा गया है.

नस्ल सुधर में पूरी तरह से परिवर्तन के लिए 3 जनरेशन का समय लगता है. पहली बार में 50%, दूसरी बार में 75% और जब तीसरी बार कृत्रिम गर्भाधान से बकरी जन्म देती है तो वो नस्ल 100% रिजल्ट देती है. बकरियों में एआई होने के कारण पशुपालक को बकरा नहीं पालना पड़ता है जिससे बकरे पर होने वाला खर्च भी बच जाता है.

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किन नस्लों के बकरीपालन से फ़ायदा ज्यादा होगा

वरिष्ठ पशुचिकित्सक डॉ. सी.के. मिश्रा के मुताबिक पशुपालन विभाग ने बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए 7800 सीमेन मंगाए थे. इनमें उन्नत नस्ल में जमुनापारी, सिरोही, बारबरी नाम की भारतीय नस्ल शामिल है. इसके अलावा अफ्रीकन बोयर का भी सीमेन मंगाया गया है. छत्तीसगढ़ में पहली बार अफ्रीकन नस्ल के बकरा के सीमेन का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान क्ले लिए किया जा रहा है. सीमेन उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड ऋषिकेश ने उपलब्ध कराया है.

लोकल और उन्नत बकरा में क्या अंतर है?

लोकल बकरे का अधिकतम वजन 20 से 25 किलो होता है. लेकिन जमुनापारी और सिरोही का वजन 40-45 किलो तक होता है. बारबरी का वजन कम होता है लेकिन ये 3- बच्चे देती है, जिस कारण से भी ये फायदेमंद है. वही अफ्रीकन बोयर नस्ल का वजन 80 से 100 किलोग्राम तक होता है. लेकिन 100% वजन 3 जनरेशन के बाद ही प्राप्त होता है.

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