गाय भैंस के गर्मी में आने पर पशुपालक क्या करें : Pashuon Ke Garmi Me Aane Par Pashupalak Kya Karen
गाय भैंस के गर्मी में आने पर पशुपालक क्या करें : Pashuon Ke Garmi Me Aane Par Pashupalak Kya Karen, एक दौर ऐसा था जब ग्रामीण क्षेत्र में हर घर पशुपालन से लोग जुड़े हुए थे। उस समय जिसके पास जितना ज्यादा पशुधन होता था, उसे उतना ही अमीर व्यक्ति माना जाता था।

परन्तु आधुनिक समय में लोगों की रुझान पशुपालन के प्रति कम होने की वजह से पशुपालन व्यवसाय में काफी गिरावट आई है। लोग अपने पशुधन को आवारा छोड़ दे रहें है, जिससे पशुधन की तस्करी और पशु दुर्घटना में काफी बढ़ोतरी हुई है।
हालाकि पशुपालन के व्यवसाय को तेजी प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए पशुपालकों को प्रशिक्षण और पशुपालक कृषकों को चयनित संस्थान में भ्रमण भी कराया जाता है।
इसी तारतम्य में आज पशुधन के प्रति जागरूकता लाने के लिए पशुपालन से सम्बंधित गर्भाधान को लेकर पशुपालकों को एक्सपर्ट के माधयम से जानकारी देने की कोशिश करेंगे कि गाय, भैंस में गर्भाधान के समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
पशु के गर्मी या हीट में आने के लक्षण
गाय, भैंस में गर्भाधान को लेकर एक्सपर्ट ने बताया कि गाय, भैंस में कुछ हीट के बाहरी लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं, जिससे पशुपालक को पता चलता है कि गाय गर्भाधान के लिए तैयार है।
- जैसे कि गाय के पीठ पर हाथ फेरने से वह अपनी पीठ को लम्बा कर लेती है।
- पशु आवाज ज्यादा लगाती है और लगातार रंभाती रहती है।
- हीट में आने पर गाय कम खाना खाती है।
- गर्मी में आये पशु के दूध दुहने पर अन्य दिनों कि अपेक्षा काफी कम दूध देती है।
- सबसे बड़ी पहचान यह है कि पशु के योनि मार्ग से स्त्राव (निगार) निकलता है।
- कभी-कभी पशु जहाँ पर बैठी रहती है वहां स्त्राव गिरा हुआ होता है।
- गाय या भैंस हीट में आने पर अन्य पशु के ऊपर चढती है या स्वयं के ऊपर सांड को चढने देती है।
- पशु के हीट में आने पर कभी-कभी बंधीं हुई रस्सी को तोड़कर सांड की तलाश में भाग जाती है .
- उपर्युक्त लक्षण से स्पष्ट हो जाता है कि गाय या भैंस गर्मी में है और गर्भाधान के लिए तैयार है।
पशुधन एक्सपर्ट ने बताया कि गाय में गर्म रहने कि अवधि 24 घंटे तक मानी जाती है और इस अवधि में ही गर्भाधान कराने से गर्भधारण कि सम्भावना ज्यादा रहती है। अगर पशुपालक 24 घंटे के अंदर अपने गाय में गर्भाधान नहीं कराते हैं तो गर्भाधान कि सम्भावना काफी कम हो जाती है।
उपर्युक्त 24 घंटे कि अवधि में गर्भाधान नहीं होने पर पशुपालक को गर्भाधान के लिए पुनः 18-21 दिन का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि पशु कि गर्मी 24 घंटे के बाद शांत हो जाती है और पुनः दोबारा हीट में आने के लिए 18-21 दिन का समय लगता है। इससे पशुपालक को पशु पर अतिरिक्त खर्च के तौर पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
एक्सपर्ट ने बताया कि आधुनिक समय में सभी चिकित्सालय, औषधालय, कृत्रिम गर्भाधान केंद्र में गर्भाधान कि सुविधा उपलब्ध है। अगर आपका गाय, भैंस हीट या गर्मी में आती है तो नजदीकी कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों में संपर्क कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि अभी एक ऐसा सीमेन उपलब्ध हो गया है कि जिस सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान कराने पर आपकी गाय 90 प्रतिशत की गारंटी पर सिर्फ बछिया को ही जन्म देगी। 10 प्रतिशत के चांसेस पर ही बछड़ा पैदा होगा। यह पशुधन के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि है, इससे पशुपालक का पशुधन के प्रति और अधिक रूचि बनाये रखने में मददगार होगा।
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इस सीमेन का नाम है ‘सेक्स सॉर्टेड सीमेन’। यह सीमेन पशुपालक को सिर्फ 250 रुपया में उपलब्ध कराया गया है जबकि इस सेक्स सॉर्टेड सीमेन का बाजार मूल्य काफी ज्यादा है। परन्तु पशुपालकों के लिए पशुधन विकास विभाग द्वारा अनुदान देने के कारण इसका मूल्य 250 रूपये मात्र रखा गया है।
‘सेक्स सॉर्टेड सीमेन’ से कृत्रिम गर्भाधान के नियम
- पशुपालक द्वारा सेक्स सॉर्टेड सीमेन से प्रथम बार कृत्रिम गर्भाधान कराने पर, अगर आपका पशु गर्भधारण नहीं कर पाता है अर्थात पशु पुनः हीट में आ जाती है तो आपको दोबारा 250 रूपये के शुल्क देकर कृत्रिम गर्भाधान कराना होता है। यदि दो बार कृत्रिम गर्भाधान कराने पर आपका पशु गाभिन नहीं होती है तो आपका दो बार का 250+250 = 500 रूपये आपके बैंक अकाउंट में वापस कर दिया जायेगा।
- यदि इस सेक्स सॉर्टेड सीमेन से प्रथम बार कृत्रिम गर्भाधान से पशु गाभिन हो जाती है और बछड़ा को जन्म देती है। फिर उसी गाय में हीट में आने पर दोबारा कृत्रिम गर्भाधान कराने पर भी दोबारा बछड़ा को ही जन्म देती है तो आपसे दो बार कृत्रिम गर्भाधान का लिया गया शुल्क 500 रूपये आपके बैंक अकाउंट में वापस कर दिया जायेगा।
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