प्राकृतिक खेती और देशी गाय के दम पर सफल किसान : Successful Farmer on the Basis Natural Farming
प्राकृतिक खेती और देशी गाय के दम पर सफल किसान : Successful Farmer on the Basis Natural Farming, एक ऐसा किसान जो देशी गाय और प्राकृतिक खेती के दम पर 123 देशों में अपना व्यवसाय करके बना करोड़पति. उक्त किसान के पास एक समय ऐसी परिस्थिति बनी थी जब वे सामान्य खेती से संघर्ष कर रहे थे, लेकिन आज वे देशी गाय और प्राकृतिक खेती के तरीकों से विदेशों में भी अपना व्यवसाय फैलाकर करोड़पति बन गये.
आज बात कर रहे हैं गुजरात के एक साधारण किसान रमेश भाई की प्रेरणादायक कहानी की. एक समय था जब रमेश भाई सामान्य खेती से संघर्ष कर रहे थे, लेकिन आज वे देशी गाय और प्राकृतिक खेती के तरीकों से 123 देशों में अपना व्यवसाय फैलाकर करोड़पति बन गये हैं. उनका कहना है प्रैक्टिस ऐसे करें जैसे आपने कभी जीता नहीं और परफार्म ऐसे करें जैसे आपने कभी हारा नहीं. तो आइये जानते गुजरात के एक साधारण किसान रमेश भाई की सफलता की कहानी.
सफल प्राकृतिक गौ-पालक गुजरात के रमेश भाई
अपने भारत देश में गौपालन पशु, किसानों की समृद्धि का आधार रहे हैं. आज के दुआर में भले बहुत कुछ बदल गया है या बदल रहा है. लेकिन कई इलाके आज भी आपको ऐसे मिल जाएँगे, जहाँ किसी घर-परिवार की समृद्धि का आंकलन, उनके दरवाजों पर, या उनके गाय की पशु गिनती से होती है. जिनके पास जितने अधिक पशु, वो उतना अधिक धनवान माना जाता है. लोग अपने पशुओं की पूजा करते हैं, सुबह नींद खुलते ही सबसे पहले वे अपने पशु के लिए चारा-पानी का इंतजाम करते है.
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इस मंत्र के साथ गुजरात में राजकोट जिले के गौपालक रमेश भाई रूपारेलिया देश के करोड़ों किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है. कभी गरीबी से परेशान होकर मजदूरी करने वाले रमेश रूपारेलिया आज के दिन में इसी गौपालन से करोड़पति है और सौ से भी ज्यादा देशों में उनका उत्पाद बिकते हैं. रमेश भाई रूपारेलिया देखने में आम गौपालक जैसे लगते हैं, लेकिन उनकी कहानी बेमिशाल है. सादा जीवन उच्च विचार वाले दर्शन को उतारने वाले रमेश भाई अपने सहयोगियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कमरतोड़ मेहनत में जुटे रहते हैं.
देशी गौपालन से 123 देशों में फैला व्यवसाय
डिमांड और सप्लाई, किसी भी बिजनेस को हिट बनाने में अहम् रोल निभाता है. चाहे वो किसी भी क्षेत्र में क्यों ना हो. रूपारेलिया ने डेयरी बिजनेस में डिमांड-सप्लाई के गणित को समझा और भुनाया. गुजरात में राजकोट जिले के गौपालक रमेश भाई रूपारेलिया ने कहा की देश में देशी गाय के दूध और प्राकृतिक उत्पाद के प्रति लोग जागरूक हो रहे हैं. इसी को देखकर उन्हें प्राकृतिक तरीके से डेयरी फार्म खोलने का विचार आया.
आज इनके पास 250 से ज्यादा गीर नस्ल की गायें हैं जिन्हें खिलाने वाले चारा भी पूरी तरीके से प्राकृतिक होता है. इन गायों के दूध से यहाँ कई तरह के उत्पाद बनते हैं, जिनकी विदेशों में भारी मांग है. छोटे स्तर से शुरू हुआ उनका कारोबार आज 123 देशों तक फ़ैल चूका है. इस व्यवसाय से प्रतिवर्ष 6 करोड़ तक का टर्नओवर होता है. लेकिन इनको सफलता आसानी से नहीं मिली है. इसमें लगन, मेहनत और लक्ष्य को पाने के लिए सुनियोजित तरीके से उनका कारोबार इतनी ऊंचाई तक पंहुचा है. उनके ब्रांड में उनकी एक अलग पहचान बन चुकि है.
प्राकृतिक तरीका और मेहनत ने गरीबी से उबारा
रमेश भाई महज सातवी कक्षा पास हैं, एक समय इन्हें बहु गरीबी झेलनी पड़ी थी. यहाँ तक इन्हें अपनी पुस्तैनी जमीं भी बेचनी पड़ी थी. रमेश भाई ने खेतों में मजदूरी करी तो कभी दूसरों के गाय चराने का धंधा भी किया. साल 2010 में रमेश बही ने किराये पर जमीं ली और खेती करना शुरू किया. रासायनिक खाद खरीदने की उनकी हैशियत नहीं थी, इसलिए गाय के गोबर पर आधारित खेती करना शुरू किया. रासायनिक दवाओं की जगह प्राकृतिक तरीके से कीट नियंत्रण किया.
धीरे धीरे सफलता मिलने लगी और इस तरीके से की गई खेती में रमेश भाई को लाखों का फायदा हुआ. फिर रमेश भाई चार एकड़ खुद के जमीन खरीदी और जैविक खेती के साथ-साथ गौपालन का व्यवसाय शुरू कर दिया.
रमेश भाई ने अपनी खेती में “वैदिक गौपालन और गौ-आधारित कृषि” के सिद्धांतों को अपनाया. उन्होंने गिर और अन्य स्वदेशी नस्ल की गायों का पालन शुरू किया, जो कम आहार में भी अधिक दूध देने में सक्षम होती हैं. गीर गाय की विशेषता यह है कि वह विभिन्न उष्णकटिबंधीय बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी होती है और इसका दूध गुणवत्ता में उच्च होता है.
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रमेश भाई ने रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर दिया और पूरी तरह से जैविक तरीकों को अपनाया. गायों के गोबर और गौमूत्र से खाद और कीटनाशक तैयार किए, जिससे भूमि की उर्वरकता और फसल की गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ है.
करोड़पति किसान रमेश भाई रूपारेलिया स्वदेशी गायों को प्राकृतिक तरीकों से पालते हैं
आज इनके पास 250 से भी अधिक गिर गएँ हैं जिन्हें खिलाने वाला चारा भी पूरा प्राकृतिक होता है. इसकी गौशाला को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते है. इनके यहाँ के दूध, छाछ, मक्खन और घी को को लोग हाथो-हाथ लेते हैं. इनकी गौशाला में बने घी की बहुत मांग है. इनके विशेष प्रकार का घी तो 51 हजार रूपये प्रति किलो तक बिकता है. जिसकी विदेशों में भारी मांग है. छोटे स्तर से शुरू हुआ कारोबार आज 123 देशों तक फ़ैल चूका है.
रमेश भाई रूपारेलिया ने अपने उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पेश किया. उन्हें जरुरी प्रमाण-पत्र और लाइसेंस प्राप्त किये और अपने उत्पादों को सही ढंग से पैकेजिंग और लेबलिंग की. इसके अलावा उन्होंने सोशल मिडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक और युट्यूब पर अपनी मार्केटिंग शुरू की, जिससे उनकी पहुँच और बिक्री में वृद्धि हुई. इसके अलावा वह अपने खेतों में गौ आधारित कृषि करते हैं. रमेश भाई रूपारेलिया का दवा है कि गौ आधारित कृषि और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से कमाई 20 गुना बढ़ गई.
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